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Friday, January 13, 2023

लोहड़ी स्पेशल मक्के की रोटी और सरसों का साग [ Lohri Special Punjab's Classical Makke ki roti aur Sarson ka saag recipe ]

 नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम लोहड़ी के खास अवसर पर पंजाब की क्लासिकल डिश मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाएँगे। दोस्तों, आप सभी को लोहड़ी , बिहू, मकर - संक्रांति , उत्तरायन  एवं  पोंगल आदि पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएँ । लोहड़ी का त्योहार मकर - संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। यह पंजाब और हरियाणा का एक प्रमुख त्योहार है। इसके अलावा लोहड़ी  दिल्ली , जम्मू - कश्मीर और हिमांचल प्रदेशों के साथ - साथ देश के हर उस हिस्से में जहां पंजाबी समुदाय के लोग रहते हैं, वहाँ धूम - धाम से मनाया जाता है।  इसके साथ ही असम में बिहू, मध्य भारत में मकर - संक्रांति  और दक्षिण भारत में पोंगल मनाने की भी परंपरा है। ये सभी पर्व नयी फसल के होने की खुशी में मनाए जाते हैं। इसलिए इन्हें अँग्रेजी भाषा में  ''क्रॉप फेस्टिवल ऑफ इंडिया '' भी कहा जाता है। इन त्योहारों के साथ ही ऐसा माना जाता है कि सर्दियाँ कम होने लगती हैं और वातावरण काफी खुशनुमा हो जाता है। 

             लोहड़ी की शाम को लोग लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, आग में रेवड़ी , मूँगफली , खील और  मक्की के दानों आदि की आहुति दी जाती है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि जो भी नयी फसल हुई है उसे पहले भगवान को अर्पण करके तब उसका सेवन किया जाता है। बाजे - गाजे , ढ़ोल - नगाड़े आदि के साथ लोग लोहड़ी के गीत गाते हैं, झूमते - नाचते हैं और पूरे हर्षोल्लास के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।  यह त्योहार नयी बहू और घर में अगर कोई बच्चा हुआ है , उसके लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन नव- विवाहित जोड़े और नवजात बच्चों  को बड़े - बुजुर्गों और भगवान से आशीर्वाद दिलाया जाता है। लोग गज़क , रेवड़ी , खील , मूँगफली आदि का लुत्फ उठाते हैं और एक - दूसरे को लख - लख बधाइयाँ देते हैं। 

       लोहड़ी का त्योहार मनाने के पीछे एक ऐतिहासिक कथा है। ऐसा कहा जाता है कि जब भारत में अकबर का शासन था , उन दिनों दुल्ला भट्टी नाम का एक व्यक्ति पंजाब प्रांत का सरदार हुआ करता था। उसे ''पंजाब का नायक'' भी कहा जाता था। उन दिनों पंजाब में एक संदलबार नाम की एक जगह हुआ करती थी ,[ जो अब विभाजन के बाद पाकिस्तान में स्थित है ] , वहाँ लड़कियों की खरीद - फ़रोक्त होती थी और उनका पूरा जीवन नरकतुल्य कष्टों में बीतता था। तब दुल्ला भट्टी ने इसका विरोध किया और इस कुप्रथा को समाप्त कर अनेकों लड़कियों को उनका खोया हुआ सम्मान दिलवाया और उनका विवाह करवाकर उन्हें एक सम्मानित जीवन प्रदान किया। इसी कारण उन्हें ''पंजाब का नायक'' भी कहा जाने लगा। लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की कथा सुनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि दुल्ला भट्टी की कथा के बगैर लोहड़ी अधूरी है। 

          इस दिन सभी पंजाबी घरों में गज़क , रेवड़ी और खील आदि के साथ जो एक व्यंजन विशेष रूप से बनता है, वह है ;-'' मक्के की रोटी और सरसों का साग''। जैसे दुल्ला भट्टी की कहानी के बगैर लोहड़ी अधूरी है वैसे ही मक्के की रोटी और सरसों के साग के बगैर भी लोहड़ी अधूरी है। यह पंजाब की एक क्लासिकल और पारंपरिक डिश है। यह पोषक तत्वों से भरपूर और स्वाद में बेमिसाल होती है। सरसों का साग केवल एक अकेले सरसों के साग से ही नहीं बनता है, बल्कि उसमें पालक और बथुआ आदि सागों का सम्मिश्रण भी होता है। तीनों साग एक साथ मिलकर इस डिश के स्वाद में चार चाँद लगा देते हैं और गरमागरम मक्के की रोटी के ऊपर तैरता हुआ सफ़ेद मक्खन किसी को भी ललचाने की क्षमता रखता है। लेकिन तीनों सागों की मात्रा में सटीक अनुपात का होना बहुत आवश्यक है,नहीं तो इससे साग के स्वाद में बहुत अंतर पड़ जाता है। जितना सरसों का साग है, उसका 1/4 ही बथुआ और पालक का साग होना चाहिए, इस बात का विशेष ध्यान रखें।  मक्के की रोटी और सरसों के साग को प्याज़ , हरी मिर्च , सफ़ेद मक्खन और गुड के साथ सर्व किया जाता है। पंजाब में पारंपरिक रूप से सरसों के साग को मिट्टी के बर्तन में घंटों घोटकर पकाया जाता है, लेकिन उसमें थोड़ा वक़्त ज्यादा लगता है। इसलिए आज इस रेसिपी में मक्के की रोटी और सरसों के साग को जल्दी और आसान तरीके से बनाने की विधि स्टेप बाई स्टेप बताई गयी है साथ ही साथ सारे टिप्स और ट्रिक्स भी शेयर किए गए हैं। तो चलिये फिर देर किस बात की , स्वाद और सेहत से भरपूर पंजाब की क्लासिकल डिश मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाना शुरू करते हैं। 



सरसों का साग 


सामग्री 


  1. सरसों का साग ;- 1 किलो 
  2. बथुए का साग ;- 250 ग्राम 
  3. पालक का साग ;- 250 ग्राम 
  4. पानी ;- 2 कप 
  5. बटर ;- 1 टेबल - स्पून 
  6. घी ;- 2 टेबल - स्पून 
  7. बारीक कटा लहसून ;- 1 टेबल - स्पून 
  8. बारीक कटी अदरक ;- 1 टी- स्पून 
  9. बारीक कटी हरी मिर्च ;- 2 
  10. बारीक कटी प्याज़ ;- 1/4 कप या 1 बड़ा प्याज़ 
  11. मक्के का आटा ;- 1 टेबल - स्पून 
  12. नमक;- स्वादानुसार 

तड़के के लिए सामग्री 

  1. घी;- 2 टेबल - स्पून 
  2. कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर ;- 1/2 टी- स्पून 
  3. कसूरी मेथी ;- 1 टेबल- स्पून 


विधि 


  1. सबसे पहले पालक , बथुआ और सरसों को अच्छे से साफ करके धो लें। फिर सभी सागों को काट लें । ज्यादा बारीक -  बारीक काटने की आवश्यकता नहीं है, क्यूंकि वैसे भी हमें साग को उबालकर पीसना ही है। 
  2. अब एक पैन या कड़ाही में 2 कप पानी डालकर गैस पर उबलने के लिए रख दें। 
  3. जब पानी में एक उबाल आ जाए तब उसमें सरसों, बथुआ और पालक के साग को डाल दें। 
  4. उलटते - पलटते हुए मीडियम आंच पर सभी सागों को पका लें। साग को पकने में 10- 15 मिनट का समय लग जाता है। 
  5. पहले तो साग मात्रा में ज्यादा लगते हैं, लेकिन जैसे -जैसे ये पकते हैं , वैसे - वैसे इनकी मात्रा कम होती जाती है। अतः इतना सारा साग देखकर घबराएँ नहीं। 
  6. साग उबालने के लिए एक बात का विशेष ध्यान रखें कि साग को उबालने के लिए प्रेशर कूकर का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें, क्यूंकि उससे साग के स्वाद में अंतर आ जाता है। अतः साग को किसी पैन या कड़ाही में ही खोलकर पकाएँ। 
  7. जब साग पक जाएँ , तब गैस बंद कर दें और एक अलग बर्तन में साग को छान लें। साग के पानी को फेंकें नहीं। इसमें बहुत सारा मिनरल और विटामिन्स होता है। उसमें थोड़ा काला नमक , थोड़ी सी कुटी हुई काली मिर्च और थोड़ा सा नींबू का रस डालकर पी जाएँ। इससे बहुत ताकत मिलती है और साग का पानी भी बर्बाद नहीं होता है। 
  8. साग को एक बार ठंडे पानी से धो लें। ठंडे पानी से धोने से एक तो साग का कूकिंग प्रोसेस रूक जाएगा और साग ओवर - कुक नहीं होगा और दूसरा उसका हरा रंग बरकरार रहेगा। 
  9. जब साग अच्छे से ठंडा हो जाए तब मिक्सर में डालकर बिना पानी डाले, दरदरा पीस लें। सरसों का साग थोड़ा दरदरा ही पीसा जाता है। बाद में उसे पकाते वक़्त कलछी से थोड़ा घोंटा जाता है। 
  10. अब एक मिट्टी के बर्तन में या किसी पैन या कड़ाही में 2 टेबल - स्पून घी और 1 टेबल- स्पून बटर डालकर धीमी आंच पर गरम कर लें। 
  11. जब घी और बटर अच्छे से गरम हो जाए तब बारीक कटा लहसून डाल दें और धीमी आंच पर लहसून को चलाते हुए गोल्डेन ब्राऊन होने और अच्छी सी खुशबू आने तक पका लें। ध्यान रखें कि हमें लहसून को जलाना नहीं है, बस लाल करना है , नहीं तो साग का टेस्ट खराब हो जाएगा । 
  12. जब लहसून पक जाए तब कड़ाही में बारीक कटा अदरक और हरी मिर्च डाल दें और उसे भी धीमी आंच पर पका लें। 
  13. इसके बाद कड़ाही में बारीक कटी प्याज़ डाल दें और उसे भी धीमी आंच पर गोल्डेन ब्राऊन होने तक पका लें। 
  14. बहुत से लोग सरसों का साग बनाते वक़्त टमाटर का इस्तेमाल भी करते हैं। मैं सरसों के साग में टमाटर का इस्तेमाल नहीं करती , क्यूंकि उससे एक तो साग का रंग थोड़ा लाल हो ज्यादा है , दूसरे इसके स्वाद में भी थोड़ा परिवर्तन हो जाता है। अगर आप भी टमाटर डालना चाहें तो प्याज़ पकने के बाद एक टमाटर को धोकर , बारीक - बारीक काट लें और उसे भी कड़ाही में डालकर पका लें। 
  15. जब प्याज़ पक जाए तब उसमें पिसा हुआ सारा साग उठाकर डाल दें और अच्छे से मिक्स कर दें। धीमी आंच पर साग को 5 मिनट तक पकने दें। 
  16. इसके बाद साग में 1 टेबल - स्पून मक्के का आटा भी डाल दें और उसे भी अच्छे से साग में मिक्स कर दें। मक्के के आटे को डालने से साग में गाढ़ापन आता है। 
  17. धीमी आंच पर घोंटते और चलाते हुए साग को ढँककर 10- 15 मिनट के लिये  पकने दें। 
  18. 10 मिनट बाद कड़ाही का ढक्कन हटाकर सरसों के साग में स्वादानुसार नमक डाल दें। मैं यहाँ आपको एक सुझाव देना चहुंगी कि नमक थोड़ा हल्का ही रखें , क्यूंकि एक तो साग में सोडियम की भी थोड़ी मात्रा पायी जाती है, दूसरा हमने साग में बटर का इस्तेमाल भी किया है, उसमें भी नमक होता है। इसलिए एक बार थोड़ा नमक डाल , मिक्स करके टेस्ट कर लें अगर नमक कम लग रहा है तो ही नमक की मात्रा बढ़ाएँ  ,अन्यथा नहीं। 
  19. 5 मिनट तक पकाकर गैस बंद कर दें। स्वादिष्ट सरसों का साग बनकर तैयार है। इसे सर्व करने से पूर्व इसमें एक फाइनल तड़का लगाकर तब सर्व करें। 
  20. इसके लिए एक तड़का पैन में 2 टेबल- स्पून घी डालकर गरम कर लें। अब उसमें 1/2 टी- स्पून कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर और 1 टेबल- स्पून कसूरी मेथी डालकर तड़का लें और उसे सरसों के साग के ऊपर डाल दें और मिक्स कर दें। 
  21. स्वादिष्ट सरसों का साग मक्के की रोटी , प्याज़, गुड़ और हरी मिर्च के साथ सर्व करें। 




मक्के की रोटी 




सामग्री 


  1. मक्के का आटा ;- 2 कप 
  2. नमक ;- 1/2 टी- स्पून 
  3. गरम पानी ;- आवश्यकतानुसार [ आटा गूँथने के लिए ] 
  4. सफ़ेद मक्खन या घी ;- रोटी पर लगाने के लिए 



विधि 



  1. सबसे पहले 2 कप मक्के के आटे को एक परात में निकाल लें और नमक डालकर मिक्स कर दें। 
  2. अब उसके बाद थोड़ा - थोड़ा हल्का गरम पानी डालते हुए आटा गूँथकर तैयार कर लें। आटा न तो ज्यादा कड़ा गूँथें और न ही ज्यादा नरम । आटे को कम से कम 5- 7 मिनट तक मसलते हुए गूँथें, क्यूंकि जितना ज्यादा आटे की मड़ाई होती है, आटा उतना ज्यादा नरम व चिकना होता है और उसकी रोटियाँ भी नरम नरम व फूली - फूली बनती हैं। 
  3. आटा गूँथते वक़्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पानी हल्का गरम हो तभी मक्के के आटे में बाइंडिंग आएगी। अगर आप ठंडे पानी से आटा गूंथेंगे तो आटे में लचीलापन नही आएगा और आपकी रोटियाँ बार - बार टूटेंगी और फटेंगी। 
  4. बहुत से लोग मक्के के आटे में गेंहू का आटा मिलाते हैं। लेकिन गरम पानी से गूँथकर केवल मक्के के आटे की रोटियाँ भी आराम से बिना किसी परेशानी के बनाई जा सकती हैं। 
  5. आटे को ढँककर 5 मिनट के लिए सेट होने के लिए रख दें। 
  6. 5 मिनट बाद एक बार फिर से मसलकर आटे को चिकना कर लें और आटे में से एक बड़े नींबू के बराबर लोई लेकर थोड़ा सूखे मक्के के आटे में लगाकर चकले व बेलन से बेलकर रोटी तैयार कर लें। 
  7. पहले से ही गैस पर तवा गरम होने के लिए रख दें। जब रोटी बेलकर तैयार हो जाए तब गरम तवे पर डाल दें और दोनों तरफ से पलट - पलटकर और गैस पर फुलाकर रोटी बनाकर तैयार कर लें। रोटी  सेंकते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तवा बहुत ज्यादा गरम न हो , नहीं तो रोटी तवे पर चिपक जाएगी और पलटते वक़्त टूट जाएगी। तवा हल्का गरम ही रखें। 
  8. अगर आपके पास गैस तंदूर हो तो उस पर मक्के के आटे की  रोटियाँ बनाएँ, तंदूर में पकी रोटी का स्वाद ही अलग होता है। न हो तो भी गैस पर भी फूली - फूली रोटियाँ आराम से बन जाती हैं। 
  9. रोटी में ऊपर से घी या सफ़ेद मक्खन  लगाकर तब सर्व करें। ऐसे ही सारी रोटियाँ बनाकर तैयार कर लें। 
  10. स्वादिष्ट , नरम - नरम व फूली - फूली मक्के की  रोटी बनकर तैयार है । इसे सरसों के साग , गुड़ , प्याज़ और हरी मिर्च के साथ सर्व करें। 


दोस्तों, आशा करती हूँ कि लोहड़ी स्पेशल पंजाब की  क्लासिकल डिश मक्के की रोटी और सरसों के साग की मेरी ये रेसिपी आपको पसंद आई होगी। हमने इस रेसिपी में सारे जरूरी टिप्स और ट्रिक्स भी  शेयर किए हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप आराम से मक्के की रोटी और सरसों का साग घर पर बना सकते हैं  और इस स्वादिष्ट व्यंजन का लुत्फ उठा सकते है। तो इस लोहड़ी या सर्दियों में जब कभी भी  आपका मक्के की रोटी और सरसों का साग खाने का मन करे , तब इस रेसिपी का इस्तेमाल करके फटाफट  बनाएँ , खाएं और अपने अनुभव और सुझाव मेरे साथ शेयर करें। 



धन्यवाद ॥ 






Wednesday, January 11, 2023

होटल स्टाइल टमाटर का सूप रेसिपी [ Restaurant Style thick and creamy Tomato soup recipe ]

 


नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम रेस्टुरेंट स्टाइल टमाटर का सूप बनाएँगे। या यूँ कहिए कि रेस्टुरेंट से भी अच्छा टमाटर का सूप घर पर बनाएँगे। दोस्तों, सर्दियाँ अपने चरम पर हैं और इस कडकड़ाती ठंड में अगर गरमागरम सूप पीने को मिल जाए तो मजा ही आ जाता है। जब सूप की बात चलती है तो हम सबके मन में सबसे पहले टोमॅटो सूप का ही विचार आता है। टमाटर का सूप बच्चे हों या बड़े सबको बहुत पसंद आता है और घर के बने टमाटर के सूप की तो बात ही निराली होती है। लाल - लाल रसीले टमाटरों और कुछ विशेष प्रकार के मसालों के साथ तैयार किया हुआ टमाटर का सूप सभी का पसंदीदा होता है। जब भी हम कभी होटल में टोमॅटो का सूप पीते हैं, तब यही सोचते हैं कि घर पर बने सूप में ऐसा गाढ़ापन और स्वाद क्यूँ नहीं आता है। तो आज इस रेसिपी में हमने होटल के सूप के सारे सीक्रेट इंग्रिडिएंट्स  का इस्तेमाल किया है, जिससे सूप में वही गाढ़ापन और स्वाद आएगा और घर में फ्रेश सब्जियों और मसालों के साथ तैयार होने के कारण पोषण भी भरपूर होगा। 

        टमाटर का सूप वस्तुतः टमाटर आधारित एक गाढ़ा व गरम पेय होता है , जिसे संभवतः सर्दियों अथवा बरसात के मौसम में भोजन से पूर्व स्टार्टर अथवा एपेटाइज़र के तौर पर पिया जाता है। यह भारत में सर्दियों की एक बहुत ही लोकप्रिय डिश है। कहीं - कहीं इसे टमाटर का शोरबा भी कहा जाता है, लेकिन शोरबा और सूप में थोड़ा फ़र्क होता है। शोरबा थोड़ा पतला जबकि सूप थोड़ा गाढ़ा होता है। वहीं शोरबा दाल , सब्ज़ी आदि किसी का भी हो सकता है, जबकि सूप मुख्य रूप से  केवल सब्जियों का ही बनता है। 

       भारत में सर्दियों में आम तौर पर शादी हो या पार्टी हर जगह खाने के मेन्यू में टमाटर का सूप तो होता ही है। इससे न सिर्फ हमें गर्मी मिलती है बल्कि टमाटर का सूप पीने से हमारे शरीर को अनगिनत फ़ायदे भी मिलते हैं। टमाटर में विटामिन A C, E, K  और कैल्शियम की भरपूर मात्रा पायी जाती है, जिससे हमारे शरीर की रोग - प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है , शरीर अंदर से गरम रहता है, हड्डियाँ मज़बूत होती हैं , सर्दी - जुखाम नहीं होने पाता है और  खाना अच्छे से हज़म होता है। इसके साथ ही इसे  एक मोस्ट कम्फ़र्टेबल डिश भी कहा जाता है, क्यूंकि इसे पीने से तन और मन दोनों को सुकून मिलता है। 

       इसके अलावा टमाटर में प्रचुर मात्रा में कॉपर भी पाया जाता है , जिससे नर्वस - सिस्टम दुरुस्त रहता है। इसके साथ ही इसमें पोटैशियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे दिमाग तेज़ होता है। डाईबिटीज़ के मरीजों को तो टमाटर का सूप अवश्य पीना चाहिए , क्यूंकि इसमें क्रोमियम होता है , जो ब्लड - शुगर को नियंत्रण में रखने में मदद करता है। सूप पीने से हमें भूख कम लगती है और हम ओवर - इटिंग से बच जाते हैं, जिससे वेट - लॉस करने में भी काफी मदद मिलती है। टमाटर के सूप में मौजूद सेलेनियम रक्त - प्रवाह को बेहतर बनाता है, जिससे एनीमिया में बचाव होता है। 

      इसके साथ ही साथ टमाटर के सूप में लाइकोपिन और कैरोटोनोयड जैसे तत्व भी पाये जाते हैं, जिससे कैंसर जैसी बड़ी बीमारी की आशंका भी काफी हद तक कम हो जाती है। 1 कप टमाटर के सूप में लगभग 13.3 मिलीग्राम लाइकोपिन पाया जाता है , जो हमारे शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए पर्याप्त होता है। एक शोध के अनुसार यदि सप्ताह में 3 बार टमाटर का सूप पिया जाए , तो ब्रेस्ट कैंसर , प्रोस्टेट कैंसर और पेट के कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 

       टमाटर के सूप के अनगिनत फ़ायदे हैं, लेकिन इसका यह मतलब बिलकुल भी नहीं है कि आप मार्केट में मिलने वाला पैकेट बंद रेडीमेड सूप का मिक्सचर खरीदकर लाएँ और उसका सूप बनाकर पीएँ। क्यूंकि उसमें बहुत ज्यादा मात्रा में सोडियम पाया जाता है और पोषण बिल्कुल न के बराबर होता है, जिसके सेवन से अनेकों स्वास्थ्य जटिलताएँ हो सकती हैं। आजकल तो टमाटरों का सीज़न चल रहा है। मार्केट में वैसे भी फ्रेश , लाल - लाल व रसीले टमाटरों की  भरमार है, उन्हें खरीदकर लाएँ। अपनी मनपसंद सब्जियों व मसालों को मिलाकर स्वास्थ्यवर्धक और बिना मिलावट वाला टमाटर का सूप घर पर तैयार करें, क्यूंकि इसे बनाना काफ़ी आसान होता है। इसलिए आज हम रेस्टुरेंट स्टाइल टोमॅटो सूप की  रेसिपी लाये हैं, जिसका इस्तेमाल करके आप होटल से भी अच्छा टोमॅटो सूप घर पर तैयार कर पाएंगे। तो चलिये स्वाद और सेहत से भरपूर रेस्टुरेंट स्टाइल टोमॅटो सूप बनाना शुरू करते हैं। 



सामग्री  


  1. लाल - लाल रसीले टमाटर - 7- 8 [ छोटे टुकड़ों में कटे ]
  2. गाजर - 1/4 कप  [ छीलकर , धोकर छोटे - छोटे टुकड़ों में काट लें ]
  3. चुकंदर - 1/4 कप  [ छीलकर , धोकर छोटे - छोटे टुकड़ों में काट लें ] 
  4. प्याज़ - 1 बड़ी साइज़ की  [ बारीक कटी ] 
  5. लहसून - 3-4 कलियाँ [ बारीक कटी ]
  6. अदरक - 1 इंच टुकड़ा  [ छीलकर , धोकर बारीक - बारीक काट लें ] 
  7. हरी धनिया की कुछ स्टेम [ डंडी ] - 1 टेबल- स्पून [ बारीक कटे ] 
  8. तेल - 1 टेबल - स्पून 
  9. बटर - 2 टेबल - स्पून 
  10. तेज़पत्ता - 1 
  11. दालचीनी - 1 इंच टुकड़ा 
  12. काली मिर्च - 8 - 9 दाने 
  13. बड़ी ईलाईची - 1/2 [ केवल दानों का इस्तेमाल करें, छिलका हटा दें ]
  14. हल्दी पाउडर - 1/4 टी- स्पून  
  15. कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर - 1/2 टी- स्पून 
  16. नमक - स्वादानुसार 
  17. चीनी - 2 टेबल - स्पून 
  18. जीरा पाउडर - 1/4 टी- स्पून 
  19. पानी - 4 कप / आवश्यकतानुसार 
  20. टोमॅटो केचप - 1 टी- स्पून 
  21. नींबू का रस - कुछ बूँदें 
  22. कॉर्न - फ़्लौर - 1 टेबल - स्पून 
  23. पानी - 1 टेबल - स्पून [ कॉर्न फ़्लौर घोलने के लिए ]


सामग्री - ब्रेड क्रुटौंस बनाने के लिए 



  1. ब्रेड - 5-6 [ सफ़ेद ] 
  2. मक्खन - 1 टेबल - स्पून 
  3. तेल - 1 टेबल - स्पून 


सजाने के लिए


  1. फ्रेश क्रीम 
  2. ब्रेड क्रूटोंस 
  3. 1 - 2 बेसिल लीव्स 







विधि 



  1. सबसे पहले एक कूकर या पैन में 2 टेबल - स्पून बटर और 1 टेबल - स्पून तेल डालकर गरम होने के लिए गैस पर रख दें। आंच धीमी रखें। 
  2. जब बटर और तेल अच्छे से गरम हो जाए तब उसमें 1 तेज़पत्ता , 8-9 काली मिर्च के दाने , 1 दालचीनी का टुकड़ा  और  1/2 बड़ी ईलाईची के केवल दाने डालकर हल्का सा भून  लें। 
  3. अब इसके बाद कूकर में लहसून और अदरक डालकर  धीमी आंच पर 1-2 मिनट तक भून लें। 
  4. जब अदरक - लहसून अच्छे से भुन जाए तब कूकर में प्याज़ डाल दें और अच्छे से मिक्स कर दें। प्याज़ को भी बाकी चीजों के साथ 2 मिनट तक धीमी आंच पर पका लें। प्याज़ भूनते वक़्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि हमें प्याज़ को गुलाबी ही रखना है, ज्यादा लाल न करें, अन्यथा सूप का स्वाद बिगड़ जाएगा। 
  5. इसके बाद कूकर में चुकंदर और गाजर  के टुकड़े और हरी धनिया की कुछ डंडियों को भी काटकर डाल दें। हरी धनिया की डंडी डालने से सूप में एक नैचुरल फ्रेशनेस आ जाती है और स्वाद भी कई गुना बढ़ जाता है। चुकंदर, गाजर और हरी धनिया की डंडी डालकर 1-2 मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें। 
  6. अब कूकर में टमाटर , चुटकी भर नमक , चीनी , हल्दी पाउडर , कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर और जीरा पाउडर डालकर अच्छे से मिक्स कर दें और ढँककर 2-3 मिनट तक पकने दें। 
  7. इसके बाद कूकर में 1 कप पानी डालकर कूकर का ढक्कन बंद कर दें और 3 सीटी आने तक मीडियम फ्लेम पर पका लें। 
  8. जब तक टमाटर व बाकी चीजें पक रही हैं , तब तक ब्रेड क्रूटोंस तैयार कर लें। इसके लिए गैस की दूसरी तरफ एक पैन में 1 टेबल - स्पून तेल और 1 टेबल - स्पून मक्खन डालकर धीमी आंच पर गरम कर लें। आंच तेज़ बिलकुल भी न करें नहीं तो मक्खन जल जाएगा। 
  9. तब तक सभी ब्रेड को एक के ऊपर एक रखें, किनारे काट दें और सभी ब्रेड के 4 टुकड़े कर दें। 
  10. जब तेल और मक्खन अच्छे से गरम हो जाए तब उसमें 1-1 करके सारे ब्रेड के टुकड़ों को पैन में डाल दें और धीमी आंच पर उलटते - पलटते हुए दोनों तरफ से क्रिस्प और गोल्डेन ब्राऊन होने तक पका लें। ऐसे ही सारे ब्रेड क्रूटोंस बनाकर तैयार कर लें और एक प्लेट में निकालकर अलग रख दें और  गैस बंद कर दें। 
  11. जब कूकर में 3 सीटी आ जाए तब कूकर का गैस भी बंद कर दें और कूकर का प्रेशर अपने से निकलने दें। 
  12. जब कूकर का प्रेशर निकल जाए तब सूप को छान लें और उसमें से दालचीनी व तेजपत्ता को निकाल दें। पानी को फेंके नहीं, इसका इस्तेमाल सूप बनाने में हो जाएगा, क्यूंकि इस पानी में बहुत सारे पोषक तत्व भी  हैं और ढेर सारा फ्लेवर भी है। 
  13. जब टमाटर व बाकी चीजें थोड़ी ठंडी हो जाएँ तब मिक्सर में डालकर चिकना  पीस लें। 
  14. इसके बाद फिर से एक पैन में छना हुआ टमाटर का पेस्ट डाल दें और जो पानी हमने टमाटर को छानकर निकाला था वो भी डालकर मिक्स कर दें। 
  15. इसके बाद पैन में बाकी बचा हुआ 3 कप पानी , स्वादानुसार नमक , टोमॅटो केचप और कुछ बूंदें नींबू के रस की डाल दें और अच्छे से मिक्स करके सूप को लो - मीडियम फ्लेम 5-7 मिनट तक पकने दें। बीच - बीच में चलाते रहें। 
  16. सूप में गाढ़ापन लाने के लिए 1 टेबल - स्पून कॉर्न - फ़्लौर को 1 टेबल - स्पून पानी में अच्छे से घोल लें, ध्यान रखें कि घोल में गुठलियाँ न पड़ने पाएँ और धीरे - धीरे चलाते हुए सारा घोल सूप में मिक्स कर दें। सूप में गाढ़ापन लाने के लिए कॉर्न- फ्लोर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह पूर्णतया वैकल्पिक है। आप इसके बिना भी बढ़िया सूप बना सकते हैं। 
  17. जब सूप गाढ़ा होने लगे तब गैस बंद कर दें और सर्विंग बाउल में निकालकर ऊपर से फ्रेश क्रीम , बेसिल की पत्ती और ब्रेड क्रूटोंस से सजाकर गरमागरम सर्व करें। 






Tips; - 

  1. टमाटर का सूप बनाते समय टमाटरों का चयन बहुत सावधानी से करें। टमाटर बिल्कुल फ्रेश , लाल - लाल व रसीले होने चाहिए । 
  2. अगर आप लहसून , प्याज़ नहीं खाते हैं तो न डालें । इनके बिना भी बढ़िया टमाटर का सूप तैयार हो जाता है। 
  3. अगर आपके पास कॉर्न - फ़्लौर नहीं है तो कोई बात नहीं , बस सूप में पानी थोड़ा सा कम डालें । उससे भी सूप गाढ़ा बनता है। 
  4. अगर आपके पास बेसिल लीफ़ नहीं है तो भी घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। आप इसके स्थान पर तुलसी की 1-2 पत्तियों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। या फिर बिना कुछ डाले केवल ब्रेड क्रूटोंस डालकर भी सूप सर्व कर सकते हैं। 
  5. टमाटर का सूप बनाते वक़्त उसमें थोड़ी सी हरी धनिया की डंडियों का इस्तेमाल जरूर करें। इससे सूप का स्वाद काफी बढ़ जाता है। 
  6. सूप को बढ़िया लाल रंग देने के लिए कभी भी फूड कलर का इस्तेमाल न करें, सूप बनाते वक़्त चुकंदर का इस्तेमाल करें । इससे स्वाद और रंग तो बढ़िया आता ही है। सूप ज्यादा पौष्टिक भी हो जाता है। 



दोस्तों, आशा करती हूँ कि स्वाद और सेहत से भरपूर  रेस्टुरेंट स्टाइल टोमॅटो सूप की मेरी ये रेसिपी आपको पसंद आई होगी। इन सर्दियों में आप भी अपने घर पर इस रेसिपी की मदद से टोमॅटो सूप बनाएँ , पिएँ और अपने अनुभव और सुझाव मेरे साथ शेयर करें। 



धन्यवाद॥

अन्य रेसिपीस जानने के लिए  क्लिक करें: https://www.swaadbhisehatbhi.com/

Tuesday, December 27, 2022

विंटर स्पेशल बादाम का हलवा और केसर - बादाम मिल्क [ Winter special 2 amazing almond recipes - Almond Halwa & Saffron - Almond Milk ]

नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम बादाम से 2 मजेदार विंटर स्पेशल  रेसिपीज़ बादाम का हलवा और केसर बादाम मिल्क  बनाएँगे , जो सर्दियों के मौसम में हमारी सेहत के लिए बहुत उपयोगी होंगी। दोस्तों, सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि हम अपने खान - पान में ऐसी चीजों को शामिल करें, जो बदलते मौसम में विभिन्न प्रकार के रोगों से हमारी रक्षा करें और हमारे शरीर को अंदर से गरम रखें। बादाम की तासीर गरम होती है, इस कारण सर्दियों में इसका सेवन करने से हमें बहुत उपयोगी परिणाम देखने को मिलते हैं।  ये तो हम सभी  जानते हैं कि बादाम खाने से हमारी याद्दाश्त बढ़ती है। अगर हर सुबह 4-5 भिंगाए हुए बादाम खाये जाएँ तो उससे हमारी याद्दाश्त बढ़ती है और मानसिक विकास अच्छा होता है। बादाम प्रोटीन , डाइटरी फाइबर और  ओमेगा 3 का समृद्ध स्त्रोत होता  है। इसके अलावा बादाम में  मोनो अन -सैचुरेटेड फैट , विटामिन B 6, मिनरल्स , कैल्शियम , कार्बोहाइड्रेट्स, आयरन , मैग्नीशियम , फॉस्फोरस , पोटैशियम , सोडियम , ज़िंक , थाइमिन , राइबोफ्लेविन और  विटामिन E भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । साथ ही इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी काफी कम होता है, जिससे हमारी पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है, इम्यूनिटी बढ़ती है , वज़न कम करने में मदद मिलती है, शरीर का एनर्जी लेवल बढ़ता है और हड्डियाँ व दाँत मजबूत होते हैं। इसके इन्ही गुणों के कारण ही बादाम को नट्स का राजा भी  कहा जाता है। अक्सर हम सभी के मन में एक प्रश्न उठता है कि बादाम सूखे ही खाने चाहिए या भिंगाकर तो इसका जवाब है कि हमें हमेशा बादाम को रात भर पानी में भिंगाकर उसका छिलका उतारकर तभी  खाना चाहिए, क्यूंकि बादाम के छिलकों में टैनिन नाम का एक तत्व पाया जाता है, जो बादाम के पोषक - तत्वों को हमारे  शरीर में अवशोषित होने से रोकता है। बादाम न सिर्फ खाने के काम आता है बल्कि इससे बना बादाम तेल भी स्किन व बालों की सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है।  यूँ तो बादाम को भिंगाकर , छीलकर वैसे ही खाया जा सकता है, लेकिन अगर इससे कुछ ऐसी रेसिपीज़ बनाई जाए जो स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ - साथ खाने में भी बहुत स्वादिष्ट हो तो फिर क्या कहना। इसलिए आज इस लेख में आपके लिए विंटर स्पेशल बादाम का हलवा और केसर - बादाम मिल्क की रेसिपी स्टेप बाई स्टेप बताई गयी है , साथ ही उससे जुड़े सारे टिप्स और ट्रिक्स भी शेयर किए गए हैं। इतना ही नहीं इस लेख में बादाम से होने वाले फ़ायदों के बारे में भी विस्तृत चर्चा की गयी है। तो चलिये स्वाद और सेहत से भरपूर बादाम का हलवा और केसर बादाम मिल्क बनाना शुरू करते हैं।


Menu

  1. बादाम का हलवा 
  2. केसर - बादाम मिल्क                                                     

1- बादाम का हलवा      




बादाम का हलवा सर्दियों में विशेष रूप से खाया जाता है। इसे बच्चे , बूढ़े , जवान आदि कोई भी खा सकता है। यह एक प्रकार से टॉनिक का काम करता है। न्यू मदर्स को अगर इसे बनाकर खिलाया जाए तो उन्हें बहुत ज्यादा ताकत मिलती है और उनका शरीर अंदर से जल्दी हील होता है। इसका स्वाद इतना बेहतरीन होता है कि जितना भी खाया जाए उतना कम ही लगता है, लेकिन इसमें कैलोरी की मात्रा काफी ज्यादा होती है, अतः सीमित और संतुलित मात्रा में ही इसका सेवन करें। एक दिन में 4-5 चम्मच से ज्यादा न खाएं। अगर हलवा ज्यादा बन गया है, तो भी घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसे उठाकर फ्रीज़ में रख दें और थोड़ा - थोड़ा निकालकर गरम करके तब खाएं। फ्रीज़ में रखकर यह हलवा 2-3 दिनों तक आराम से चल जाता है। यह न केवल स्वाद और सेहत से भरपूर होता है बल्कि बनाने में भी काफी आसान होता है। तो चलिये बादाम का हलवा बनाना शुरू करते हैं। 

     
सामग्री - 

  1. बादाम ; - 1 कप 
  2. खसखस ;- 1/4 कप 
  3. शुद्ध घी;- 3/4 कप 
  4. दूध ;- 1 कप 
  5. शक्कर ;- 3/4 कप 
  6. ईलाईची पाउडर ;- 1/2 टी- स्पून 
  7. केसर ;- 8-10 धागे 

सजाने के लिए ;- बादाम की कतरन 



विधि 

  1. सबसे पहले बादाम को अच्छे से धो लें और उसमें पानी डालकर 5-6 घंटे या रात भर के लिए भिंगाकर, ढँककर रख दें, जिससे बादाम अच्छे से फूल जाएँ । 
  2. खसखस को भी 1/4 कप गरम दूध में 1 घंटे के लिए भिंगाकर रख दें और केसर को भी 2 टेबल- स्पून गरम दूध में भिंगा दें और इसे भी एक साइड में ढँककर रख दें। खसखस को भिंगाने के लिए जो हमने 1 कप दूध लिया था उसी में से 1/4 कप दूध का इस्तेमाल करें ।  
  3. जब बादाम अच्छे से फूल जाए तब उसका छिलका उतार लें। भिंगे होने के कारण इसका छिलका उतारना आसान होता है। 
  4. अब सारे बादाम की गिरियों को उनके छिलके से अलग करके एक साफ , सूखे तौलिये से पोंछ लें। 
  5. इसके बाद मिक्सर के जार में बादाम की गिरियाँ , दूध सहित खसखस और 1/4 कप दूध ऊपर से डालकर बिल्कुल बारीक व चिकना पेस्ट पीसकर तैयार कर लें। बादाम पीसते  वक़्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मिक्सर लगातार नहीं चलाना है, बल्कि रुक- रुककर पीसें। 
  6. इसके बाद एक कड़ाही में 1/2 कप घी डालकर गरम करें और कड़ाही के किनारों पर भी कलछी से चारों तरफ घी फैला दें, जिससे बादाम कड़ाही में चिपके नहीं। 
  7. जब घी अच्छे से गरम हो जाए तब उसमें बादाम का पेस्ट डाल दें और धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए भूनें। 
  8. बीच - बीच में जब बादाम का पेस्ट कड़ाही में चिपकने लगे तब थोड़ा - थोड़ा करके बचाया हुआ घी भी आवश्यकतानुसार  डालते जाएँ। 
  9. ध्यान रखें कि गैस की  फ्लेम लो ही रखें और कलछी को बिल्कुल कड़ाही की  तली में ले जाते हुए हलवे को भूनना है। 
  10. धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए बादाम के पेस्ट को भुनने में 20 मिनट का समय लग जाता है। 
  11. जब बादाम का पेस्ट अच्छे से भुन जाए , तब हलवे में चीनी डाल दें और अच्छे से मिक्स कर दें। चीनी के साथ भी हलवे को 5-7 मिनट तक भुन लें ,क्यूंकि जब चीनी गरम होकर पिघलेगी तो हलवे को पतला कर देगी। 
  12. 5-7 मिनट बाद हलवे में बचाया हुआ 1/2 कप दूध , ईलाईची पाउडर और केसर वाला दूध भी डाल दें और धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए तब तक पकाएँ, जब तक हलवा तली से अलग होकर घी न छोड़ने लगे। 
  13. जब हलवा घी छोड़कर  तली से अलग होना शुरू कर दे , तब गैस बंद कर दें। 
  14. स्वादिष्ट और  ताकत की खान  बादाम का हलवा बनकर तैयार है। इसे एक कटोरी में निकालकर ऊपर से बादाम की कतरनों से सज़ाकार गर्मागर्म सर्व करें। 


Tips 

  1. यदि आप रात में बादाम भिंगाना भूल गयी हैं या आपको तुरंत हलवा तैयार करना है तो बादाम को 1 घंटे के लिए उबलते हुए पानी में भिंगाकर , ढँककर रख दें। 1 घंटे में बादाम अच्छे से फूल जाएंगे। 
  2. अगर आपको 1-1 बादाम का छिलका निकालने में परेशानी हो रही हो तो भिंगे हुए बादाम को एक साफ सूखे और पतले किचन टॉवल में रखें, चारों ओर से पकड़कर ऊपर की ओर एक पोटली जैसा बना लें और एक हाथ से पोटली का मुह बंद करके रखें और दूसरे हाथ से हल्के - हल्के किचन स्लैब पर रखकर रगड़- रगड़कर छिलका निकाल लें। 2-3 मिनट रगड़ने में ही सारे छिलके आसानी से अलग हो जाते हैं। 
  3. अगर आके पास खसखस नहीं है, तो उसके स्थान पर उतनी ही मात्रा में सूजी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, या फिर केवल बादाम का हलवा भी बनाया जा सकता है। खसखस या सूजी हलवे में थोड़ा दरदरापन लाने का काम करते हैं। अगर आप कुछ भी नहीं डालना चाहते हैं, तो बादाम को ही हल्का दरदरा पीसें। 



2- केसर - बादाम मिल्क 




केसर बादाम मिल्क सर्दी व गर्मी दोनों मौसमों में पिया जाता है। अगर आप सर्दियों में इसका सेवन कर रहे हों तो रात में सोने से पहले  गरमागरम पिएँ और अगर गर्मियों में इसका सेवन कर रहे हों तो इसे बनाने के बाद पहले रूम टेम्परेचर तक ठंडा होने दें और उसके बाद इसे उठाकर 2 घंटे के लिए फ्रिज में रख दें और ठंडा - ठंडा सर्व करें। बर्फ वगैरह का इस्तेमाल बिलकुल भी न करें। यह स्वाद में काफी उम्दा होता है और सर्दियों में  रात में अगर सोने से पहले पिया जाए तो नींद अच्छी आती है और अनिद्रा की शिकायत भी दूर होती है। इसके अलावा केसर - बादाम मिल्क का सेवन करने से महिलाओं में मुश्किल दिनों में होने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है। त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे - ड्राइनेस , हाइपरपिगमेंटेशन और डलनेस को दूर करने में मदद मिलती है और शारीरिक दुर्बलता भी दूर होती है। तो चलिये केसर - बादाम मिल्क बनाना शुरू करते हैं।

 

सामग्री 
  1. दूध - 2 कप [ 1/2 लीटर ] 
  2. बादाम - 1/4 कप [ 15 - 16 दाने ] 
  3. केसर के धागे - 8-10 
  4. चीनी - 3-4 टेबल -स्पून 
  5. ईलाईची पाउडर - 1/4 टी - स्पून 


सजाने के लिए - बादाम व पिस्ते की कुछ कतरनें और केसर के कुछ धागे 



विधि 

  1. सबसे पहले दूध को एक मोटी तली की कड़ाही में  गैस पर उबलने के लिए रख दें।
  2. दूध में से 1/4 कप दूध अलग निकाल लें और मिक्सर के जार में बादाम और दूध डालकर अच्छे से बिलकुल बारीक व चिकना पीसकर पेस्ट तैयार कर लें। ध्यान रखें कि मिक्सर को लगातार न चलाएं बल्कि रुक - रुक कर पीसें।  
  3.  जब कड़ाही का  दूध थोड़ा गरम हो जाए तब  उसमें से 2 टी- स्पून दूध एक कटोरी में निकालकर उसमें केसर भिंगा दें। 
  4. दूध को बीच - बीच में चलाते रहें। जब दूध में 1 उबाल आ जाए तब गैस का फ्लेम लो- मीडियम कर दें और कलछी को बिलकुल कड़ाही की तली में ले जाते हुए ,चलाते हुए दूध को 8- 10 मिनट तक पकाएँ। 
  5. कड़ाही के किनारों पर लगे हुए दूध व मलाई को भी कलछी से खुरचकर दूध में मिक्स करते जाएँ। इससे दूध में गाढ़ापन आता है। 
  6. 8- 10 मिनट बाद दूध में बादाम का पेस्ट डालकर मिक्स कर दें। 5 मिनट तक पकने दें। 
  7. 5 मिनट बाद दूध में चीनी , ईलाईची पाउडर और केसर वाला दूध भी डाल दें और अच्छे से सारी चीजों को मिक्स कर दें। 
  8. लो - मीडियम फ्लेम पर लगातार चलाते हुए 10 - 12 मिनट तक दूध को पकने दें। 
  9. जब दूध थोड़ा गाढ़ा  हो जाए और उसका रंग भी थोड़ा बादल जाए तब गैस का फ्लेम बंद कर दें। 
  10. हल्का ठंडा हो जाने पर दूध को एक सर्विंग ग्लास में डालकर , ऊपर से पिस्ते - बादाम की कतरनों और केसर से सजाकर गर्मागर्म सर्व करें। 


बादाम के फ़ायदे 


  1. सबसे पहले तो यह हम सभी को पता है कि बादाम खाने से याद्दाश्त मजबूत होती है और मस्तिष्क की कार्य - प्रणाली बेहतर होती है। 
  2. बादाम का सेवन करने से हमारी हार्ट हेल्थ अच्छी रहती है, क्यूंकि इसका सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है, जो हमारे हृदय के लिए हानिकारक होता है। इसके गुणों की वजह से लो - डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो जाता है। साथ ही यह ट्राइग्लिसराइड्स [ एक प्रकार का वसा ] के लेवल को कम करने के लिए भी जाना जाता है। 
  3. बादाम का सेवन वज़न कम करने में भी मदद करता है, क्यूंकि बादाम को एक लो कैलोरी डाइट के रूप में जाना जाता है। साथ ही यह हेल्दी फैट्स से भी भरपूर होता है। इसमें मौजूद डाइटरी फाइबर  लंबे समय तक पेट भरा रखने में मदद करता है। 
  4. बादाम खाने से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के खतरे को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। बादाम में मौजूद एमिग्डालिन जैसे तत्व में कैंसर सेल्स को नष्ट करने की क्षमता होती है। 
  5. बादाम मधुमेह से बचाव करने में भी उपयोगी सिद्ध होता है। बादाम लो - ग्लाइसेमिक इंडेक्स की श्रेणी में आता है, जिससे टाइप 2 डाईबीटीज़ के जोखिम से बचा जा सकता है। 
  6. बादाम में विटामिन E और ज़िंक की भरपूर मात्रा पायी जाती है , जो आँखों के रेटिना को स्वस्थ रखने का काम करता है। इसलिए कहा जाता है कि बादाम खाने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। 
  7. इसके साथ ही बादाम एन्टी - ऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होता है, जिससे शरीर के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके अल्जाइमर जैसे रोगों की रोकथाम भी  की जा सकती है। 
  8. बादाम में उच्च मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जिससे शरीर की क्षमता बढ़ती है और शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है, क्यूंकि यह शरीर में अंदर से डैमेज्ड सेल्स को रिपेयर करने का काम भी करता है। 
  9. इसके अतिरिक्त बादाम का सेवन करने से हड्डियाँ व दाँत मजबूत होते हैं, पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है, त्वचा व बालों की सेहत अच्छी रहती है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। 


तो देखा आपने छोटा सा दिखने वाला यह नट कितने कमाल के फ़ायदे पहुंचाता है, तो बादाम को आज से ही अपनी डेली डाइट का हिस्सा जरूर बनाएँ। 



दोस्तों, आशा करती हूँ कि विंटर स्पेशल बादाम का हलवा और केसर - बादाम मिल्क की मेरी ये रेसिपी आपको पसंद आई होगी। इन सर्दियों में आप भी बादाम का हलवा और केसर - बादाम मिल्क अपने घर पर बनाएँ, उसके स्वाद का  लुत्फ उठाएँ और अपने अनुभव और सुझाव मेरे साथ शेयर करें। 

धन्यवाद॥  
हल्दी दूध रेसिपी के लिए क्लिक करें : https://www.swaadbhisehatbhi.com/2021/06/Turmeric-Latte-Golden-Turmeric-Milk.html

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Wednesday, June 15, 2022

बंगाल की पारंपरिक मिष्टी दोई [ Traditional Bengali Sweet Yogurt/ Mishti doi Recipe ]


नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध डेज़र्ट मिष्टी दोई बनाएँगे। बंगाली भाषा में मिष्टी का अर्थ होता है - मीठा और दोई का अर्थ होता है - दही। अतः मिष्टी दोई एक प्रकार का मीठा दही या स्वीट योगर्ट है, जिसे पश्चिम बंगाल में हर विशेष अवसर पर बनाया ही जाता है। दोस्तों, गर्मियों में दही खाना हम सभी को बेहद पसंद होता है। दही से बनी लस्सी , छाछ , रायते आदि हमारे खाने के स्वाद को दोगुना कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दही सिर्फ हमारे खाने में जायका बढ़ाने का काम ही नहीं करती है , बल्कि इसमें बहुत से ऐसे पोषक तत्व पाये जाते हैं , जो इसे सुपर फूड की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देते हैं। दही में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम , प्रोटीन , विटामिन A , विटामिन  B6  , विटामिन B12 , ज़िंक , लैक्टोज़ , आयरन , फ़ोस्फोरस , पोटैशियम और मैग्नीशियम पाये जाते हैं। इसके अलावा दही को एक उत्कृष्ट प्रो - बायोटिक भी माना जाता है, जिससे हमारा पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है, इम्यूनिटी बढ़ती है , गर्मी से राहत मिलती है, हड्डियाँ व दाँत मजबूत होते हैं और वजन नियंत्रित रहता है और अगर दही को मिष्टी दोई का रूप दे दिया जाय , तो स्वाद और सेहत दोनों बढ़ जाते हैं।

  मिष्टी दोई की उत्पत्ति बांग्लादेश के बोगरा जिले में हुई मानी जाती है और वहाँ से इस डिश ने भारत तक का सफर तय किया है। आज मिष्टी  दोई बंगाल की आत्मा में रच - बस चुकी है। बंगाली कुजिन मिष्टी दोई के बिना बिलकुल अधूरा सा माना जाता है। शादी- पार्टी हो या कोई पूजा - उपवास , कोई मेहमान घर आ रहा हो या कोई त्यौहार हो , बंगाल में मिष्टी दोई हर विशेष अवसर पर बनाई जाती है। वैसे भी हमारे भारतीय समाज में प्रत्येक शुभ कार्य से पहले दही - चीनी खाने की परंपरा है। भारत में बंगाल के अलावा मिष्टी दोई असम , ओडिशा और त्रिपुरा राज्यों में भी बनाई जाती है। आजकल तो मिष्टी दोई पूरे भारतवर्ष में ही अपने अनूठे स्वाद की मिठास घोल रही है और सभी आयु - वर्ग के लोगों द्वारा बहुत पसंद भी  की जा रही है। मिष्टी दोई बनाने की विधि आम दही  से थोड़ी अलग होती है, जिसके कारण यह डिश खास बन जाती है। इसे बनाने के लिए हमें सिर्फ 3 - 4 चीज़ों की ही आवश्यकता होती है लेकिन इसका स्वाद इतना लाजवाब होता है कि एक बार इसे खाने के बाद बार - बार खाने की इच्छा होती है। मिष्टी दोई बनाने के लिए पहले फूल क्रीम दूध को गाढ़ा होने तक पकाया जाता है, फिर उसमें कैरेम्लाइज्ड चीनी या गुड़ डालकर दूध को मीठा किया जाता है और इसके बाद थोड़ा ठंडा हो जाने पर दूध में हंग कर्ड का जामन डालकर दही को सेट होने के लिए ढँककर रख दिया जाता है। यह मिष्टी दोई बनाने का पारंपरिक तरीका है। इसमें जामन भी आम दही से ज्यादा लगता है। आजकल मिष्टी दोई को भाप में पकाकर भी बनाया जाने लगा है। आज हम पारंपरिक तरीके से ही मिष्टी  दोई बनाएँगे। अगर आप गर्मियों में मिष्टी दोई बनाएँ तो दही को सेट होने में 8 - 10 घंटे का समय लगता है और अगर आप सर्दियों में मिष्टी दोई बनाएँ तो दही को सेट होने में 12 -14 घंटों का समय भी लग सकता है। सर्दियों में मिष्टी दोई जमाते समय बर्तन को किसी शाल या टॉवल  से लपेटकर किसी गरम स्थान पर रख दें। दही अच्छे से सेट हो जाएगी। दही जमाने में बर्तन की भी विशेष भूमिका होती है। फिर चाहे आप सादी दही जमा रहे हों या फिर मिष्टी दोई। दही जमाने के लिए हमेशा मिट्टी के बर्तनों का ही चयन करें। इससे दही अच्छी बनती है, क्यूंकि मिट्टी दूध में मौजूद अतिरिक्त पानी को सोख लेती है और दही गाढ़ी जमती है। वैसे तो आपको मार्केट में बड़ी आसानी से कई कंपनियों की मिष्टी दोई मिल ही जाएंगी , लेकिन घर की बनी मिष्टी दोई की बात ही निराली होती है और इसे बनाना भी काफी आसान होता है और इस रेसिपी में हमने मिष्टी दोई बनाने के सारे टिप्स और ट्रिक्स भी बताए हैं , जिनका इस्तेमाल करके आप घर पर आसानी से बेहतरीन मिष्टी दोई तैयार कर पाएंगे। तो चलिये स्वाद और सेहत से भरपूर बंगाल की प्रसिद्ध पारंपरिक मिष्टी दोई बनाना शुरू करते हैं। 


सामग्री 


  1. फूल क्रीम दूध - 1 लीटर 
  2. हंग कर्ड - 1 कप 
  3. चीनी - 1/2 कप 
  4. ईलाईची पाउडर - 1/4 टी- स्पून 

विधि 

  1. सबसे पहले दूध को एक मोटी तली के बर्तन में उबलने के लिए गैस पर रख दें। 
  2. जब दूध में एक उबाल आ जाए तब गैस की आंच को लो - मीडियम कर दें और बीच - बीच में चलाते हुए दूध को 3/4 होने तक पका लें। 
  3. जब तक दूध गाढ़ा हो रहा है, तब तक गैस की दूसरी तरफ चीनी को कैरेम्लाइज़्ड़ कर लें। इसके लिए एक पैन को गैस पर धीमी आंच पर रखें और उसमें चीनी डाल दें। पानी वगैरह कुछ भी नहीं डालना है। 
  4. धीमी आंच पर चीनी को चलाते हुए तब तक पकाएँ जब तक चीनी का रंग बिल्कुल ब्राऊन न हो जाए। जब आप चीनी को पकाना शुरू करेंगे तो आप देखेंगे कि चीनी पहले पिघलकर लिक्विड होगी और फिर धीरे- धीरे इसका रंग बदलने लगेगा और जब चीनी का रंग बिल्कुल ब्राऊन हो जाए  और चाशनी थोड़ी गाढ़ी हो जाए ,तब गैस बंद कर दें। चीनी को कैरेम्लाइज़्ड़ करने में धीमी आंच पर 5-6 मिनट का समय लग जाता है। 
  5. तब तक एक जाली या सूती कपड़े में 1 कप दही को डालकर रख दें , जिससे दही का अतिरिक्त पानी निकल जाए और हमें गाढ़ा हंग कर्ड प्राप्त हो जाए। दही से निकले पानी को फेंके नहीं, यह पानी बहुत  पौष्टिक होता है। इसका इस्तेमाल दाल , सब्जी बनाने में या आटा गूँथने में कर लें। दही या पनीर को बनाने में निकले पानी से ही मार्केट में मिलने वाला सबसे महंगा Whey Protein बनता है। 
  6. ध्यान रखें कि मिष्टी दोई बनाने के लिए हमें ताजी दही का उपयोग ही करना है। खट्टी दही बिल्कुल भी न लें। 
  7. जब दूध गाढ़ा होकर 3/4 रह जाए तब दूध का गैस भी बंद कर दें और कैरेम्लाइज़्ड़ शुगर में पहले 2 कलछी दूध डालकर चला दें। एक साथ पूरा दूध नहीं डालना है। दूध थोड़ा - थोड़ा करके ही मिलाएँ और चलाते जाएँ। 
  8. जब आप शुगर में दूध मिक्स करेंगे तब आप देखेंगे कि दूध में गुठली पड़ रही है, लेकिन घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। लगातार चलाते रहने से दूध में पड़ी गुठली समाप्त हो जाएगी और दूध कैरेम्लाइज़्ड़ शुगर में अच्छे से मिक्स होकर भूरे रंग का हो जाएगा। 
  9. इसके बाद चाशनी में बाकी बचा हुआ दूध भी धीरे - धीरे करके डाल दें और ईलाईची पाउडर भी डालकर मिक्स कर दें। 
  10. दूध को थोड़ा ठंडा होने के लिए छोड़ दें । एकदम गरम दूध में जामन न लगाएँ। 
  11. तब तक हंग कर्ड को एक बाउल में निकाल लें और एक चम्मच या व्हिसकर की मदद से तब तक फेंटे, जब तक दही का बिल्कुल क्रीमी टेक्सचर न आ जाए। 
  12. दूध में  4 -5 बार कलछी से ऊपर - नीचे करके झाग बना लें। 
  13. जब दूध गुनगुना से थोड़ा ज्यादा गरम रह जाए तब दूध में जामन लगा दें। जामन लगाते वक़्त भी एक साथ पूरा दही न डालें, थोड़ा - थोड़ा करके ही डालें और चलाते जाएँ , नहीं तो दही दूध में अच्छे से मिक्स नहीं होगी। 
  14. ध्यान रखें कि जामन लगाते वक़्त  दूध अच्छा गरम हो , ज्यादा ठंडा न होने पाये नहीं तो मिष्टी दोई अच्छे से सेट नहीं होगी और अगर दूध  बहुत ज्यादा   गरम हुआ तो दही पानी छोड़ देगी। दही जमाने के लिए दूध इतना गरम होना चाहिए कि जब हम उसे उंगली से छूएँ तो हमें गरम महसूस हो। 
  15. इसके बाद दूध को एक मिट्टी के बर्तन में डालकर , ढँककर 8 - 10 घंटे या रात भर के लिए  सेट होने के लिए किसी गरम स्थान पर रख  दें। 
  16. सुबह तक अच्छे से मिष्टी दोई सेट होकर तैयार हो जाएगी। इसे तुरंत न खाएं, क्यूंकि मिष्टी दोई ठंडी ही खाई जाती है। इसे उठाकर फ्रिज में 3 -4 घंटे  के लिए रख दें। 
  17. दोपहर के लंच तक शानदार मिष्टी दोई बनकर तैयार है। ठंडा - ठंडा सर्व करें। 



दोस्तों , आशा करती हूँ कि बंगाल की प्रसिद्ध व पारंपरिक मिष्टी दोई की मेरी ये रेसिपी आपको पसंद आई होगी। आप भी अपने घर पर मिष्टी दोई बनाएँ और अपने अनुभव और सुझाव मेरे साथ शेयर करें। 


धन्यवाद॥ 

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Wednesday, May 11, 2022

7 रिफ्रेशिंग समर ड्रिंक्स [Beat the Heat with 7 refreshing summer drinks ]

 नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम भीषण गर्मी से राहत दिलाने के लिए 7 अलग - अलग प्रकार के समर कूलिंग ड्रिंक्स बनाएँगे, जो बनाने में तो आसान होंगे ही साथ ही बहुत अधिक स्वादिष्ट भी होंगे और इस चिलचिलाती गर्मी से राहत दिलाने के साथ- साथ शरीर को नैचुरली डिटौक्स भी करेंगे। दोस्तों गर्मी अपनी चरम सीमा पर है। ऐसे में बाहर निकलते समय हीट- स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। वैसे तो हर मौसम अपने साथ कुछ न कुछ  सीजनल बीमारियाँ लेकर ही आता है। जैसे;- सर्दी के मौसम में कोल्ड, कफ, फ्लू तो मॉनसून आते ही डेंगू ,मलेरिया, चिकनगुनिया आदि का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन गर्मी का मौसम आते ही परेशानियाँ ज़्यादा बढ़ जाती हैं। एक तरफ जहाँ गर्मी से लोगों का हाल बेहाल होता है तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना के मामलों में  भी गर्मी के सीजन में इजाफ़ा देखने को मिलता है।  ऐसे में जरा सी भी  लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। गर्मी के मौसम में ज्यादा तापमान होने से शरीर से पसीना बहुत अधिक निकलता है। जिससे शरीर में पानी की मात्रा काफी कम हो जाती है और ऐसे में हीट - स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन से लोगों के बीमार होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। लू लगना या हीट- स्ट्रोक जिसे मेडिकल टर्म में ''हाइपरथरमिया '' भी कहा जाता है, गर्मी में होने वाली एक आम समस्या है , लेकिन अगर इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही बरती जाये तो कभी - कभी यह समस्या जानलेवा भी साबित हो सकती है। हीट - स्ट्रोक होने पर सिर में तेज दर्द , तेज बुखार, ऊल्टी होना, चक्कर आना ,कमजोरी महसूस होना और यूरिन कम आने जैसे लक्षण होते हैं। जैसे- जैसे गर्मी बढ़ती है, वैसे - वैसे हीट- स्ट्रोक के साथ - साथ पेट से जुड़ी समस्याएँ भी देखने  को मिलने लगती हैं। जैसे;- गैस , दस्त , अपच , खाना खाने में अरुचि होना , कब्ज़ , फूड पोइजनिंग आदि। इससे बचने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे;- जब भी घर से बाहर निकलें, अपने सिर व चेहरे को अच्छे से ढँककर रखें, अच्छी क़्वालिटी के सनस्क्रीन और सनग्लासेज का इस्तेमाल करें, हल्के  रंग के आरामदायक  तथा सूती वस्त्रों का चयन करें,  ज्यादा से ज्यादा पानी व तरल पदार्थों का सेवन करें।खाली पेट घर से बाहर न जाएँ,  पानी वाले फल व सब्जियों जैसे;- खीरा, ककड़ी , तरबूज़ , खरबूज़, आम, संतरे, पपीता, मोसंबी आदि का सेवन करें। मार्केट में मिलने वाले  हानिकारक डिब्बाबंद कोल्ड ड्रिंक्स को छोड़कर नैचुरल ड्रिंक्स जैसे;- नारियल पानी ,गन्ने का रस आम पन्ना , सत्तू शर्बत, बेल शर्बत ,लस्सी, छाछ आदि का सेवन करें , क्यूंकि एक तरफ तो ये सभी फल, सब्जियाँ और ड्रिंक्स गर्मी से प्राकृतिक रूप से  राहत दिलाते हैं।  इनके सेवन से शरीर में तरावट बनी रहती है। वहीं दूसरी तरफ इनका शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव भी नहीं पड़ता है । इसके साथ ही गर्मियों में हमें अपने खान- पान में भी  ज्यादा तली- भुनी, मिर्च - मसालेदार व गरिष्ठ  चीजों को शामिल नहीं करना चाहिए, क्यूंकि इनसे पाचन संबंधी समस्याएँ भी बढ़ जाती हैं। इसलिए आज हम इन सभी परेशानियों से निजात दिलाने के लिए 7 ऐसी रिफ्रेशिंग ड्रिंक्स की रेसिपी लाये हैं , जो टेस्टी और हेल्दी होने के साथ- साथ फटाफट बनकर तैयार भी हो जाती हैं। तो चलिये स्वाद और सेहत से भरपूर 7 समर स्पेशल रिफ्रेशिंग ड्रिंक्स बनाना शुरू करते हैं। 


Menu 

  1.  कुकुम्बर कूलर  [Cucumber Cooler ]
  2.  वर्जिन मोहितो [ Virgin Mojito ]
  3.  मसाला छाछ  [Masala Chaas ]
  4.  कोकम शरबत [ Kokam Sharbat ]
  5.  बेल शरबत  [ Wood apple Squash]
  6.  जलजीरा  [ Jaljeera ] 
  7. सौंफ का शरबत [ Variali Saunf Sharbat / Fennel Seed Sharbat ]

1- कुकुम्बर कूलर 

कुकुम्बर कूलर एक भारतीय मौकटेल है, जो खीरे, पुदीने , नींबू के रस और चिल्ड सोडा के संयोजन से बनता है। यह भीषण गर्मी में शरीर को ठंडा व तरोताजा रखता है , शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता है, मेटाबोलिज़्म को सुधारता है, अत्यधिक स्वेटिंग से ऊर्जा स्तर में आई हुई कमी को दूर करता  है, वजन कम करने में सहयोगी होता है, तथा फूड पोइजनिंग या पाचन से संबन्धित समस्याओं से राहत दिलाता है। कुकुम्बर कूलर को आम तौर पर  चिल्ड सोडा के साथ बनाया जाता है, लेकिन घर में हर वक़्त सोडा उपलब्ध हो ऐसा जरूरी नहीं होता है। इसलिए हमने इस शानदार ड्रिंक को घर में उपलब्ध सामग्रियों के सहयोग से बनाया है। इससे यह ड्रिंक बच्चों के लिए भी अनुकूल है और इस तरीके से बनाने पर इसके स्वाद में भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। 

सामग्री 
  1. खीरा - 2 [ मीडियम साइज़ के ] - [Roughly chopped ]
  2. फ्रेश पुदीना की पत्तियाँ - 10 - 15 
  3. नींबू का रस - 2 टेबल- स्पून 
  4. काला नमक - 1/2 टी- स्पून 
  5. पानी - 1/4 कप 
  6. काली मिर्च पाउडर- 1/4 टी- स्पून 
  7. पीसी चीनी - 2 टेबल- स्पून 
  8. भुना जीरा पाउडर - 1 टी- स्पून 
  9. चाट मसाला - 1/2 टी- स्पून 
  10. आइस क्यूब्स - 4-5 

विधि 
  1. सबसे पहले खीरे को छीलकर , धोकर , पोंछ लें और बड़े टुकड़ों में काट लें।
  2.  पुदीने की पत्तियों को भी अच्छे से धोकर , साफ कर लें। 
  3. उसके बाद एक मिक्सर जार में खीरे के टुकड़े , पुदीने की पत्तियाँ, नींबू का रस , काला नमक , 2-3 आइस क्यूब्स , काली मिर्च पाउडर , पीसी चीनी , भुना जीरा पाउडर, चाट मसाला और 1/4 कप पानी डालकर अच्छे से पीस लें। 
  4. फिर एक छन्नी  की सहायता से कुकुम्बर कूलर को छान लें। ताकि अगर खीरे के बीज या पुदीने के कुछ रेशे रह गए हों तो निकल जाएँ। 
  5. कुकुम्बर कूलर बनकर तैयार है। इसे सर्व करने के लिए एक ग्लास में 2-3 आइस क्यूब्स डालें, उस पर कुकुम्बर कूलर डालें और ऊपर से 2-3 पुदीने की पत्तियों से सजाकर ठंडा - ठंडा सर्व करें। 


2- वर्जिन मोहितो  [ Virgin Mojito ]

गर्मियों का मौसम आते ही हम सभी को कुछ ठंडा पीने का मन करता है , जिससे प्यास भी बुझ जाए और ताजगी का भी एहसास हो । ऐसे में हम सभी के मन में जो एक ड्रिंक सबसे पहले आती है, वह है - नींबू पानी। वर्जिन मोहितो नींबू पानी का ही रेस्टुरेंट स्टाइल लेटेस्ट वर्जन है। इस ड्रिंक में भी नींबू के रस , पुदीने की पत्तियों के साथ- साथ चिल्ड सोडा का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें चिल्ड सोडा एक मुख्य घटक है। अतः हमने इस रेसिपी में सोडा का इस्तेमाल किया है। यह ड्रिंक आपको किसी भी बड़े रेस्टुरेंट में मिल जाएगी। लेकिन इसे घर पर भी आसानी से बनाकर तैयार किया जा सकता है। वर्जिन मोहितो किसी भी पार्टी में एक बेहतरीन वेलकम ड्रिंक के रूप में काम करता है। इससे प्यास तो बुझती ही है, ताजगी भी आती है और साथ ही यह ड्रिंक मूड को भी अच्छा करती है। इसके सेवन से कब्ज़ में राहत मिलती है, एनर्जी बढ़ती है और शरीर को ठंडक मिलती है। इसके साथ ही यह ड्रिंक विटामिन C का एक अच्छा स्त्रोत भी है। 

सामग्री 
  1. नींबू के पतले व गोल - गोल कटे हुए टुकड़े - 3-4 
  2. ताजे पुदीने की पत्तियाँ - 7-8 
  3. पीसी चीनी - 1 टेबल- स्पून 
  4. आइस क्यूब्स - 4-5 
  5. चिल्ड सोडा - आवश्यकतानुसार 
विधि 

  1. सबसे पहले एक ग्लास में नींबू के टुकड़े , पुदीने की पत्तियाँ व पीसी चीनी डाल दें। 
  2. अब इसे किसी चीज से अच्छे से दबाकर क्रश कर लें, जिससे नींबू, पुदीना और चीनी तीनों अपना पानी छोड़ दें। 
  3. सभी चीजों को अच्छे से मिक्स कर लें, ताकि चीनी अच्छे से नींबू व पुदीने के रस में मिक्स हो जाए। 
  4. इसके बाद ग्लास में आइस क्यूब्स डालें और बाकी ग्लास को चिल्ड सोडा से भर लें। 
  5. एक बार सारी चीजों को मिक्स कर दें। रेस्टुरेंट स्टाइल वर्जिन मोहितो बनकर तैयार है। ठंडा - ठंडा सर्व करें। 
नोट ;- अगर आपके पास चिल्ड सोडा नहीं है, तो उसके स्थान पर चिल्ड 7 अप या स्प्राइट का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। बस तब चीनी न डालें। 



3- मसाला छाछ [ Masala Chaas ]

मसाला छाछ दही को मथकर उसमें कुछ मसाले डालकर तैयार किया जाता है। छाछ में दूध या दही की अपेक्षा वसा की मात्रा काफी कम होती है, अतः इसके सेवन से वेट लॉस करने में मदद मिलती है। छाछ की तासीर ठंडी होने के कारण शरीर को प्राकृतिक रूप से ठंडक मिलती है। इसके साथ ही अगर दोपहर में लंच के साथ छाछ का सेवन किया जाए तो डाइजेशन में भी मदद मिलती है। छाछ में प्रो -बायोटिक , प्रोटीन और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होने के कारण हड्डियाँ मजबूत होती है, मांसपेशियों में लचीलापन आता है और साथ ही डिहाइड्रेशन की समस्या भी नही होती है। छाछ में मौजूद विटामिन A , C और B जैसे पोषक तत्व सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। 

सामग्री 
  1. ताजी दही - 2 कप 
  2. पानी - ढाई कप 
  3. भुना जीरा पाउडर - 1 टी- स्पून 
  4. काला नमक - 1 टी- स्पून 
  5. सफ़ेद नमक - 1/2 टी- स्पून 
  6. बारीक कटा हरा धनिया - 1/2 कप 
  7. पुदीना के पत्ते - 1/2 कप 
  8. हरी मिर्च - 1 [ छोटी साइज़ की ]
  9. बर्फ के टुकड़े 4-5 

विधि 
  1. सबसे पहले एक मिक्सर जार में ताजी दही , हरी मिर्च , हरा धनिया और पुदीना के पत्ते डालकर एक बार ब्लेन्ड कर लें। ध्यान रखें कि छाछ बनाने के लिए दही बिलकुल भी खट्टी नहीं होनी चाहिए, ताजी दही का ही इस्तेमाल करें और धनिया, पुदीना के पत्तों और मिर्च को अच्छे से साफ करके उसकी मोटी डंडियों को हटा दें। 
  2. इसके बाद जार में भुना जीरा पाउडर , काला नमक , सफ़ेद नमक , पानी और 2 -3 बर्फ के टुकड़े डालकर एक बार और ब्लेन्ड कर लें। 
  3. मसाला छाछ बनकर तैयार है। इसे सर्व करने के लिए एक ग्लास में मसाला छाछ निकालें , उसमें 2-3 बर्फ के टुकड़े डालें। ऊपर से  चुटकी भर भुना जीरा पाउडर और 1-2 पुदीना के पत्तों से सजाकर सर्व करें। 


4- कोकम शर्बत व कॉन्सनट्रेट  [ Kokam sharbat & consantret ]


कोकम एक प्रकार का फल होता है जो भारत में गुजरात , महाराष्ट्र और गोवा में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम '' गार्सिनिया इंडिका '' है। कोकम बहुत सारे औषधीय गुणों से युक्त होता है। इसे आम तौर पर या तो  मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है या खाने में खटास की मात्रा बढ़ाने के लिए  उपयोग में लाया  जाता है। इसके सेवन से शरीर को ठंडक मिलती है, अतः गर्मियों में लोग इसका शर्बत बनाकर भी पीते हैं। साथ ही कोकम डायरिया से भी राहत दिलाने का काम करता है। कोकम में  एन्टी - फंगल और एन्टी - ऑक्सीडेंट के गुण भी पाये जाते हैं। कोकम के  सेवन से पाचन सम्बन्धी समस्याओं जैसे;- अपच , कब्ज़ , पेट फूलना आदि में भी राहत मिलती है। कोकम का सेवन करने से हृदय रोग के खतरे को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है, क्यूंकि इसमें विटामिन B कॉम्प्लेक्स , पोटैशियम , मैंगनीज और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं, जो ब्लड - प्रेशर को नियंत्रित करने  और हार्ट - स्ट्रोक  के खतरे को कम करने में लाभदायक होते हैं। इस रेसिपी में हमने न सिर्फ कोकम शरबत बनाने की विधि बताई है, बल्कि शरबत का कॉन्सनट्रेट बनाने की विधि भी बताई है। जिसे एक बार बनाकर फ्रीज़ में रख दें और आराम से 2 - 3 महीनों तक कोकम शरबत का आनंद लें। 

सामग्री 

  1. कोकम - 1 कप 
  2. गरम पानी - 1 कप [ कोकम भिंगाने के लिए ]
  3. चीनी - 2 कप 
  4. भुना जीरा पाउडर - 1 टी- स्पून 
  5. काला नमक - 1 टी- स्पून 
  6. बर्फ के टुकड़े - 3 - 4 
  7. सादा पानी - 3/4 कप [ चाशनी बनाने के लिए ] 
  8. काली मिर्च पाउडर - 1/2 टी- स्पून 
  9. सफ़ेद नमक - चुटकी भर 
विधि 
  1. सबसे पहले 1 कप कोकम में एक कप गरम पानी डालकर भिंगा दें और ढँककर 2-3 घंटे के लिए रख दें। 
  2. 2 - 3 घंटे बाद कोकम को मिक्सर जार में पानी सहित डाल दें और बिल्कुल बारीक व चिकना पेस्ट पीसकर तैयार कर लें। 
  3. अब एक कड़ाही में 2 कप चीनी और 3/4 कप पानी डालकर गैस पर रख दें और मीडियम आंच पर चलाते हुए चीनी को पानी में घुलने तक पका लें। 
  4. जब चीनी पानी में अच्छे से घुल जाए तब उसमें कोकम का पेस्ट डालकर मिक्स कर दें। 
  5. इसके साथ ही भुना जीरा पाउडर , काला नमक और काली मिर्च पाउडर  भी डालकर मिक्स कर दें। 
  6. लो - मीडियम फ्लेम पर लगातार चलाते हुए कोकम के पेस्ट को 7 -8 मिनट तक पकने दें। 
  7. 7 -8 मिनट बाद जब हम कोकम शर्बत के कॉन्सनट्रेट को उँगली व अंगूठे के बीच चिपकाएँगे तो एक तार की चाशनी बनने लगेगी। 
  8. जब कोकम कॉन्सनट्रेट में एक तार की चाशनी बनने लगे, तब गैस बंद कर दें। कोकम शर्बत बनाने के लिए कॉन्सनट्रेट बनकर तैयार है। 
  9. कोकम कॉन्सनट्रेट को  छानकर बिल्कुल ठंडा हो जाने पर  एक एयर - टाइट ग्लास की बोतल में भरकर फ्रिज में रख दें। 
  10. फ्रिज में रखकर यह कॉन्सनट्रेट 2 - 3 महीने तक आराम से चल जाता है। 
  11. इस चिलचिलाती गर्मी में जब भी आप कहीं बाहर से आयें या आपको कुछ ठंडा पीने का मन हो तो 1 ग्लास में 3 - 4 बर्फ के टुकड़े , 2 -3 टेबल- स्पून कोकम कॉन्सनट्रेट और ठंडा पानी डालें , अच्छे से मिक्स करें और शानदार कोकम शरबत का लुत्फ़ उठाएँ। 


5- बेल शरबत [ Wood apple / Stone apple squash ] 


बेल एक ऐसा पेड़ होता है, जिसका हर हिस्सा इस्तेमाल में आता है। इसका वानस्पतिक नाम  ''एगलि मारमोलस '' [ Aegle Marmelos ] है। इसे अलग - अलग भाषाओं में अलग - अलग नामों से जाना जाता है। जैसे;- संस्कृत में बिल्व , हिन्दी में बेल , उड़िया में बेलो या बेलथाई , गुजरती में बीली , तेलुगू में मारेडु  या बिल्वपंडु , तमिल में बिलवम तथा अंग्रेजी में वुड एप्पल कहा जाता है। बेलपत्र के बारे में तो हम सभी जानते हैं। बेलपत्र भगवान आशुतोष की पूजा में विशेष स्थान रखते हैं। बेलपत्र 6 महीने तक भी खराब नहीं होते हैं। बेलपत्र के बारे में मान्यता है कि इसे एक बार भगवान को चढ़ाने के बाद फिर से धोकर प्रभु को अर्पण किया जा सकता है। इसलिए हिन्दू धर्म में इसे एक दिव्य पौधा भी माना जाता है। इसका फल गोलाकार / अंडाकार , भूरे या पीले रंग का होता है। इसके छिलके कठोर और चिकने होते हैं और इसके अंदर बहुत सारे बीज पाये जाते हैं। अंदर का फल नरम , मुलायम और बहुत ही मीठा होता है। गर्मियों में इसके फल से बने शर्बत का सेवन करने से शरीर को अनगिनत फ़ायदे मिलते हैं। बेल में प्रोटीन , बीटा - कैरोटीन , थायमीन , राइबोफ्लेविन और विटामिन C भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। बेल का इस्तेमाल कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाइयाँ बनाने के लिए भी किया जाता है। बेल का शर्बत पीने से गैस , कब्ज़ , दस्त , डायरिया और एसिडिटी से राहत मिलती है। बेल का शर्बत लू से बचाता है और शरीर को प्रकृतिक ठंडक प्रदान करके शरीर में पानी के स्तर को भी नियंत्रित बनाए रखता है, जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होने पाती है। बेल का शर्बत नई माँओं में ब्रेस्ट मिल्क प्रॉडक्शन बढ़ाने में मदद करता है, कैंसर सेल्स को नष्ट करता है  और खून साफ करके चेहरे पर नैचुरल ग्लो लाता है। इसकी तासीर ठंडी होने के कारण पेट को ठंडक मिलती है, तथा मुँह में अगर छाले हो गए हैं, तो उससे भी राहत मिलती है। इसमें नैचुरल मिठास होने के कारण शुगर के मरीज भी इसका सेवन आराम से  कर सकते हैं।  अतः गर्मियों में जितना हो सके बेल के शर्बत का सेवन अवश्य करें। 

सामग्री 

  1. बेल का फल - 1 बड़ा
  2.  पानी - 1 लीटर 
  3. बर्फ के टुकड़े - 3 - 4 
  4.  पिसी चीनी - 4 टेबल- स्पून [ वैकल्पिक ] 
विधि
 
  1. सबसे पहले बेल के फल को अच्छे से धो लें।अब एक बेलन की मदद से चारों तरफ से घुमाते हुए बेल पर हल्का - हल्का पीट लें। ऐसा करने से बेल आसानी से टूट जाएगा। 
  2. अब एक चम्मच की मदद से बेल के अंदर का सारा पल्प एक बड़े बर्तन में निकाल लें। 
  3. इसके बाद इसमें 1/2 लीटर पानी डाल दें और हाथों से मसलते हुए सारा बीज व रेशा अलग कर दें और पल्प को पानी में घुला लें। 
  4. आप चाहें तो पानी में बेल के पल्प को भिंगाकर 1/2 घंटे के लिए रख भी सकते हैं, इससे पल्प को बीज व रेशों से अलग करने में आसानी भी हो जाएगी और पल्प आसानी से पानी में घुल भी जाएंगे , क्यूंकि भिंगा देने से पल्प फूल जाते हैं। 
  5. अब एक छन्नी की मदद से शर्बत को चम्मच से दबा- दबाकर छान लें , जिससे सारा शर्बत निकल आए और रेशे व बीज वगैरह ऊपर जाली में ही रह जाएँ। 
  6. इसके बाद शर्बत में बाकी बचा हुआ पानी और 4 टेबल- स्पून पिसी चीनी डाल दें और अच्छे से मिक्स कर दें। 
  7. ध्यान रखें कि बेल वैसे ही काफी मीठा होता है, अतः चीनी डालने से पहले एक बार शर्बत को चखकर देख लें । अगर शर्बत मीठा लग रहा है, तो चीनी का इस्तेमाल बिलकुल भी न करें और अगर शर्बत थोड़ा फीका लग रहा हो तब थोड़ी चीनी मिलाई जा सकती है, लेकिन यह बिलकुल वैकल्पिक है। 
  8. सारी चीजों को अच्छे से मिक्स कर दें। शानदार बेल शर्बत बनकर तैयार है। इसे सर्व करने के लिए एक ग्लास में बेल का शर्बत डालें और उसमें 3 -4 बर्फ के टुकड़े डालकर ठंडा - ठंडा सर्व करें। 

नोट ;- बेल के पल्प को मिक्सर में पीसने की भूल बिलकुल न करें, क्यूंकि बेल के बीज बहुत कडवे होते हैं और मिक्सर में पीसने से बीज भी पिस जाते है, जिससे हमारा शर्बत कड़वा हो जाता है। अतः पल्प को हाथ से ही अच्छे से मसलकर निकाल लें और बाद में छान लें। 



6 - जलजीरा [ Jaljeera ]


जलजीरा गर्मियों में पिया जाने वाला एक बेहतरीन और लोकप्रिय पेय है। इसके सेवन से ईंस्टेंट एनर्जी मिलती है और शरीर को ठंडक मिलती है। यह ठंडक और ताज़गी देने के साथ - साथ पेट के पाचन के लिए भी बहुत अधिक  लाभदायक होता है। जीरा और पानी इसके दो मुख्य घटक हैं। पेट की गर्मी को शांत करने , गरिष्ठ भोजन को पचाने, शरीर को हाईड्रेटेड रखने , लू से बचाव के लिए ,  गैस , कब्ज़ , बदहज़मी से राहत के लिए ,  शरीर में पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए , सामान्य पेट दर्द या मासिक धर्म में उठने वाले तेज़ दर्द व क्रैम्प्स से राहत दिलाने  और ठंडक व ताज़गी के लिए जलजीरे का सेवन किया जाता है और इसका स्वाद इतना चटपटा होता है  कि बच्चे भी  इसे शौक से पीते हैं। 

सामग्री 

  1. ताजे पुदीने की पत्तियाँ - 1/2 कप 
  2. हरे धनिये की पत्तियाँ - 1/2 कप 
  3. अदरक - 1 इंच टुकड़ा 
  4. काला नमक - 1 टी- स्पून 
  5. सफ़ेद नमक - 1/2 टी- स्पून 
  6. भुना जीरा पाउडर - 2 टी- स्पून 
  7. नींबू - 2 
  8. चीनी - 2 टी- स्पून 
  9.  ठंडा पानी - 4 कप 
  10. रायते वाली बूंदी - 1/2 कप 
  11. काली मिर्च पाउडर - 1/2 टी- स्पून 
  12. हींग - 1 पिंच 
  13. बर्फ के टुकड़े - 3-4 
विधि 
  1. सबसे पहले धनिये व पुदीने की पत्तियों को अच्छे से साफ करके मोटी डंडियों को हटा दें और अच्छे से धोकर सूखा लें। 
  2. अदरक को  छीलकर , धोकर सूखा लें और छोटे - छोटे टुकड़ों में काट लें।  नींबुओं का भी रस निकाल लें। 
  3. अब एक मिक्सर जार में धनिया के पत्ते , पुदीना के पत्ते , कटे हुए अदरक के टुकड़े , काला नमक , सफ़ेद नमक , भुना जीरा पाउडर , चीनी , नींबू का रस , काली मिर्च पाउडर और हींग डाल दें और 2 कप  पानी डालकर एक बार अच्छे से बारीक पेस्ट पीसकर तैयार कर लें। 
  4. अब इस पेस्ट को एक बड़े बाउल में निकाल लें और उसमें बाकी बचा हुआ  पानी डालकर मिक्स कर दें।
  5. इसके बाद जलजीरा को एक छन्नी की मदद से छान लें ताकि अगर कुछ रेशे या अदरक के टुकड़े रह गए हैं तो निकल जाएँ। 
  6. स्वादिष्ट व चटपटा जलजीरा बनकर तैयार है। 
  7. इसे सर्व करने के लिए एक ग्लास में 3-4 बर्फ के टुकड़े डालें , जलजीरा डालें और ऊपर से 3 -4 रायते वाली बूंदी डालकर मिक्स कर दें और ठंडा - ठंडा जलजीरा सर्व करें।  




7 - सौंफ शर्बत व प्री - मिक्स पाउडर  [ Variyali saunf / Fennel seed Sharbat ]


भारत में सौंफ अपने औषधीय गुणों के कारण बहुत प्रसिद्ध है। खाना खाने के बाद सौंफ खाने से खाना जल्दी और आसानी से पच जाता है। इसे भी कोकम की तरह आम तौर पर मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सौंफ वाली चाय दिन भर की थकान को दूर करके , शरीर में चुस्ती व स्फूर्ति भरने का काम करती है। सौंफ की भी तासीर ठंडी होती है, अतः इससे बना शर्बत भी शरीर के लिए काफी फ़ायदेमंद होता है। सौंफ में कैल्शियम , आयरन और पोटैशियम जैसे खनिज़ तत्व पाये जाते हैं। इसके सेवन से मुँह की दुर्गंध दूर होती है, साँसों में ताज़गी आती है, पाचन क्रिया में सुधार आता है और नकसीर फूटने की समस्या से  राहत मिलती है। सौंफ में एन्टी - ओक्सीडेंट्स भी भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। इसका शर्बत जहाँ एक ओर शरीर को ठंडक , ताज़गी और स्फूर्ति प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर स्ट्रेस लेवल को कम करके मानसिक शांति भी प्रदान करता है। 


सामग्री 
  1. बड़ी सौंफ - 1 कप 
  2. हरी इलायची - 15 - 20 
  3. काली मिर्च के दाने - 10 - 15 
  4. चीनी - 1 टेबल - स्पून [ इलायची व काली मिर्च पीसने के लिए ] 
  5. चीनी - 4 टेबल - स्पून [ सौंफ पीसने के लिए ] 
  6. बर्फ के टुकड़े - 3- 4 
  7. पानी - आवश्यकतानुसार 
  8. पीसी चीनी - स्वादानुसार 
विधि 
  1. सबसे पहले सौंफ को अच्छे से बीनकर साफ कर लें। 
  2. अब एक मिक्सर जार में सौंफ व 4 टेबल - स्पून चीनी डालकर बिलकुल बारीक पाउडर पीसकर तैयार कर लें। चीनी डालकर पीसने से सारी चीजें अच्छे से पिस जाती हैं। 
  3. अब एक छन्नी की सहायता से सौंफ के पाउडर को एक बड़े बाउल में छान लें। 
  4. इसके बाद उसी जार में 1 टेबल - स्पून चीनी और इलायची व काली मिर्च भी डालकर बिलकुल बारीक पाउडर पीस लें। इसे भी उसी बाउल में छान लें और अच्छे से मिक्स कर दें। 
  5. सौंफ शर्बत का प्री - मिक्स बनकर तैयार है। इसे एक साफ , सूखे व एयर - टाइट ग्लास जर में भरकर फ्रिज में रख दें। फ्रिज में रखकर यह पाउडर 6 महीने तक भी खराब नहीं होता है। 
  6. अब जब भी आपको सौंफ शर्बत पीने का मन हो तो 1 ग्लास में 2 टेबल - स्पून सौंफ शर्बत का प्री - मिक्स पाउडर डालें , आवश्यकतानुसार पीसी चीनी व पानी डालें, 3 -4 बर्फ के टुकड़े डालकर सारी चीजों को अच्छे से मिक्स करें और ठंडा - ठंडा सौंफ शर्बत का आनंद लें। 

दोस्तों , आशा करती हूँ कि गर्मियों में राहत प्रदान करने के लिए बनाई गयी 7 रिफ्रेशिंग समर ड्रिंक्स की मेरी ये सभी रेसिपीज़ आपको पसंद आई होंगी। ये सभी ड्रिंक्स नैचुरल हैं और शरीर को अनगिनत फ़ायदे प्रदान करते हैं। तो इन गर्मियों में आप भी अपने घर पर ये सभी ड्रिंक्स बनाकर हीट को बीट करें और अपने अनुभव और सुझाव मेरे साथ शेयर करें। 

धन्यवाद॥ 

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Wednesday, March 16, 2022

होली स्पेशल 6 अलग - अलग प्रकार की मिठाइयाँ व नाश्ते [ Holi Special 6 Different Kinds Of Sweets And Snacks ]

नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम होली के उपलक्ष्य में 6 अलग- अलग प्रकार की मिठाइयाँ व नाश्ते बनाएँगे। दोस्तों, होली का मस्ती भरा त्यौहार आने वाला है। आप सभी को रंगोत्सव की ढेर सारी शुभकामनाएँ। होली हिन्दू - भाई बहनों का एक प्रसिद्ध और प्रमुख त्यौहार  है, जिसे आज न सिर्फ भारत में बल्कि नेपाल और  हर उस स्थान पर मनाया जाता है , जहां हिन्दू समुदाय के लोग रहते हैं।  हिन्दू पंचांग के अनुसार होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। होली  राधा - कृष्ण के परस्पर प्रेम का  प्रतीक भी  मानी जाती है। होली को देश के अलग- अलग प्रान्तों में अलग- अलग नामों से जाना जाता है। बिहार और उत्तर - प्रदेश में होली को ''फगुआ , फाग या होली'' कहा जाता है। खासकर उत्तर- प्रदेश के गोकुल , मथुरा , वृन्दावन और ब्रज में होली की एक अलग ही धूम रहती है। बरसाना की लठमार होली तो विश्व प्रसिद्ध है , जिसे देखने के लिए देश के अलग - अलग स्थानों से लोग आते हैं। मध्य - प्रदेश , राजस्थान और हरियाणा में होली को  ''धुलन्डी'' के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में होली को ''रंग - पंचमी ''कहा जाता है। गोवा के मछुआरा समाज में इसे ''शिमगो या शिमगा'' कहा जाता है। गुजरात में'' गोविंदा होली'' की अलग ही धूम मचती है। छत्तीसगढ़ में होली को ''होरी'' कहा जाता है। पंजाब में होली , ''होला - मोहल्ला'' के नाम से जानी जाती है। पश्चिम बंगाल में होली को ''दोल जात्रा ''और ओडिशा में ''बसंत उत्सव'' के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में लोग होली को कामदेव के बलिदान के रूप में याद करते हैं। इसीलिए यहाँ होली को'' कमान - पंडिगई , काम विलास और कामा दाहनामा ''कहा जाता है। कर्नाटक में होली को ''कामना हब्बा'' कहते हैं। मणिपुर में ''योशांग या याओसांग'' कहा जाता है। असम में इसे ''फगवाह या देओल'' के नाम से जाना जाता है और उत्तराखंड और हिमाचल में होली पर विभिन्न प्रकार के संगीत समारोह होते हैं। यहाँ की ''कुमाउनी होली'' बहुत प्रसिद्ध है। इन्ही संगीत समारोहों के नाम पर ही यहाँ होली को भी जाना जाता है, जैसे;- ''गीत - बैठकी होली , खड़ी होली और महिला होली'' आदि। इसके अलावा भी कुछ अन्य जगहों पर होली को ''धुरड्डी , धुरखेल, धुलिवन्दन'' आदि नामों से भी जानते हैं।  नाम चाहे कुछ भी क्यूँ न हो लेकिन होली पर एक बात हर जगह समान रूप से देखने को मिलती है और वह है - आनंद , उत्साह , परस्पर प्रेम और खुशियाँ। रंगों का यह त्यौहार हँसी - खुशी से मिलकर रहने व पुरानी से पुरानी दुश्मनी, बैर व कटुता भूलकर फिर से एक होने का संदेश देता है। 

       होली का यह पर्व पारंपरिक रूप से 2 दिनों तक मनाया जाता है और उसके बाद कई दिनों तक लोग एक - दूसरे के साथ होली मिलन समारोह का लुत्फ उठाते हैं। पहले दिन होलिका दहन होता है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है और दूसरे दिन होली खेली जाती है। होली वाले दिन लोग सुबह से ही आनंद और उमंग से भर जाते हैं। इस दिन सभी एक - दूसरे को रंग , अबीर तथा गुलाल आदि लगाते हैं, ढ़ोल- नगाड़ों की थाप पर होली के गीत बजाकर नृत्य करते हैं , विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं तथा पुरानी रंजिश भूलकर एक - दूसरे को गले लगाकर होली की बधाइयाँ देते है। बच्चों में तो होली का उत्साह देखते ही बनता है। वे अपनी पिचकारियों व गुब्बारों में रंग भरकर हर आने जाने वाले जाने - अंजाने लोगों पर रंग डालते है और खुश होते हैं। 

      होली के कुछ दिन पूर्व से ही घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनने लगते हैं। मार्केट  भी नाना प्रकार की मिठाइयों से सज जाते हैं, लेकिन बाहर की बनी मिठाइयों में मिलावट की संभावना अधिक होती है। अतः हमें घर पर ही कोशिश करके सारी चीजें बना लेनी चाहिए। भले ही थोड़ा समय ज्यादा लगता है, लेकिन बनने के बाद जो परिणाम  सामने आता है उससे परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर खुशी और संतोष का भाव होता है। तो चलिये होली स्पेशल 6 अलग - लग प्रकार की मिठाइयाँ  व नाश्ते बनाना शुरू करते हैं। 

Menu 

  1. मावा गुझिया / करंजी 
  2. मावा गुलाब - जामुन 
  3. कलाकंद 
  4. निमकी 
  5. मेथी मठरी 
  6. चिवड़े की नमकीन 

1- मावा गुझिया / करंजी 

गुझिया होली की शान मानी जाती है। गुझिया के बिना होली बिलकुल अधूरी सी लगती है। गुझिया को कहीं- कहीं करंजी भी कहा जाता है। वैसे तो गुझिया कई प्रकार से बनाई जाती है , लेकिन मैदे , मावा और ड्राई - फ्रूट्स से बनी गुझिया सबकी फेवरेट होती है। तो चलिये गुझिया बनाना शुरू करते हैं। 

सामग्री 
  1. मैदा - 2 कप 
  2. मावा / खोवा / खोया - 1 कप 
  3. घी- 1/4 कप [ मैदे में मोयन लगाने के लिए ] 
  4. बूरा चीनी / तगार - 3/4 कप 
  5. बारीक कटे बादाम - 10- 12 
  6. बारीक कटे काजू - 10- 12 
  7. कद्दूकस किया हुआ सूखा नारियल - 1/4 कप
  8. किशमिश - 1 टेबल- स्पून 
  9. हरी ईलाईची - 10- 12 
  10. चिरौंजी - 1 टेबल - स्पून 
  11. गुनगुना पानी - आवश्यकतानुसार [ आटा गूँथने के लिए ] 
  12. तेल / घी - गुझिया तलने के लिए 
  13. नॉर्मल पानी - 1/2 कटोरी [ गुझिया चिपकाने के लिए ] 
विधि 
  1. गुझिया बनाने के लिए सबसे पहले हमें मावा भूनकर तैयार करना होगा। इसके लिए एक पैन / कड़ाही को गैस पर गरम होने के लिए रखें और उसमें हाथों से तोड़कर मावा डाल दें। आंच लो- मीडियम रखें। 
  2. लो- मीडियम फ्लेम पर मावे को लगातार चलाते हुए गोल्डेन ब्राऊन होने व अच्छी खुशबू आने तक भून लें।
  3. मावे को निकालकर एक प्लेट / थाली में ठंडा होने के लिए रख दें। तब तक गुझिया के लिए आटा गूँथकर तैयार कर लें। 
  4. इसके लिए एक बड़ी परात / थाली में मैदे को निकालकर छननी से छान लें, ताकि अगर मैदे में कुछ गंदगी हो तो निकल जाए। 
  5. अब मैदे में पिघलाया हुआ 1/4 कप घी डालकर अच्छे से मसल- मसलकर मोयन लगा दें, जिससे मैदे  के कण - कण में अच्छे से मोयन लग जाए। मोयन लगाने से गुझिया बहुत खस्ता बनती है। 
  6. मैदे  में मोयन ठीक से लगा है कि नहीं , यह जानने के लिए जब आप मुट्ठी में मैदे  को दबाएँगे तो मैदा  मुट्ठी का शेप पकड़ना चाहिए। यह ट्रिक हर जगह मोयन लगाने के लिए काम आती है। 
  7. अब थोड़ा- थोड़ा गुनगुना पानी डालते हुए सख्त आटा गूँथकर तैयार कर लें। 
  8. आटे को किसी हल्के गीले मलमल / सूती कपड़े से  ढँककर 20 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें। तब तक सारे ड्राई- फ्रूट्स काटकर तैयार कर लें और ईलाईची को छीलकर उसका पाउडर बना लें। 
  9. जब मावा ठंडा हो जाए तब उसमें पीसी हुई चीनी या तगार , बारीक कटे काजू , बारीक कटे बादाम , कद्दूकस किया हुआ सूखा नारियल , चिरौंजी , किशमिश और ईलाईची पाउडर डालकर अच्छे से मिक्स कर दें। 
  10. ध्यान रखें कि जब मावा पूरी तरह से ठंडा हो तभी उसमें चीनी मिलाएँ नहीं तो चीनी पिघलने लगेगी और स्टफिंग गीली हो जाएगी। जिससे गुझिया तलते वक़्त उसके फटने की संभावना बढ़ जाएगी। लेकिन अगर फिर भी आपकी स्टफिंग गीली लग रही हो तो 2-3 टेबल- स्पून सूजी हल्का सा ड्राई रोस्ट करके स्टफिंग में मिला दें, स्टफिंग सही हो जाएगी। 
  11. गुझिया बनाने के लिए स्टफिंग बनकर तैयार है। अब हम गुझिया बनाएँगे। 
  12. इसके लिए एक बार फिर से आटे को मसल- मसलकर चिकना कर लें। अब आटे से एक नींबू के बराबर की लोई तोड़ लें। बाकी के आटे को ढँककर ही रखें, नहीं तो आटा सूखने लगेगा। 
  13. अब उस लोई से एक नॉर्मल साइज़ की पतली पूरी बेलकर तैयार कर लें। 
  14. अब गुझिया बनाने वाले साँचे में हल्का सा दोनों तरफ ब्रश की मदद से घी लगा दें और बेली हुई  पूरी उसमें रख दें। 
  15. अब पूरी के बिलकुल बीच में 1 - 1.5 टी - स्पून स्टफिंग रख दें और उंगली की मदद से पूरी के किनारों पर हर तरफ पानी लगा दें। पानी लगाने से गुझिया अच्छे से चिपक जाती है तथा तलते वक़्त तेल में खुलती नहीं है। यहाँ पर हमने  रूम - टेम्प्रेचर के पानी का इस्तेमाल किया है। पानी न तो गरम है न ही ठंडा है। 
  16. पानी लगाने के बाद साँचे को अच्छे से बंद करके हल्का सा दबा दें। बाहर अगर कुछ मैदे का भाग निकल रहा हो तो उसे निकालकर बाकी के आटे में मिक्स कर दे। अगर आपके पास साँचे नही हैं तो हाथों से भी मोड़कर गुझिया बनाई जा सकती है। 
  17. गुझिया को निकालकर एक थाली में रख दें और ऊपर से एक साफ - सूखे कपड़े से ढँक दें ताकि पानी लगाने के बाद गुझिया में जो नमी आ गयी है , वह सूख जाए। 
  18. ऐसे ही सारी गुझिया बनाकर तैयार कर लें। इतने आटे से 20-25 गुझिया बनकर तैयार हो जाएगी। इसके बाद हम गुझिया को तलेंगे। 
  19. इसके लिए एक कड़ाही में पर्याप्त मात्रा में तेल डालकर गरम होने के लिए रख दे। ध्यान रखें कि तेल इतना हो जिसमें गुझिया अच्छे से डूब जाए। 
  20. गुझिया तलने के लिए हमें बहुत गरम तेल नही चाहिए , नहीं तो गुझिया ऊपर से जल्दी से लाल हो जाएगी और अंदर से कच्ची रह जाएगी। अतः इस बात का विशेष ध्यान रखें कि गुझिया तलने के लिए तेल मध्यम गरम होना चाहिए और आंच लो- मीडियम होनी चाहिए। 
  21. जब तेल गरम हो जाए तब उसमें हल्के हाथों से उठाकर एक - एक करके एक बार में जितनी गुझिया कड़ाही में आ सके डाल दें। 
  22. थोड़ी देर के लिए गुझिया को बिल्कुल न चलाएं। उसे अपने से नीचे की तरफ से पकने दें। 
  23. जब गुझिया एक साइड से गोल्डेन ब्राऊन हो जाए तब उसे धीरे से पलटकर दूसरे साइड से भी तल लें। 
  24. तलकर गुझिया को एक प्लेट में टिशू पेपर बिछाकर निकाल लें। 
  25. ऐसे ही बारी- बारी से सारी गुझिया बनाकर तैयार कर लें। 
  26. स्वादिष्ट मावा गुझिया / करंजी बनकर तैयार है। ठंडा हो जाने पर एक एयर- टाइट कंटेनर में भरकर रख दें और होली वाले दिन  अपना , अपने परिवार , दोस्तों व रिश्तेद्दरों का मुंह मीठा कराएं। 
  27. 15 दिनों तक यह गुझिया आराम से खाई जा सकती है। 


2- मावा गुलाब -जामुन 

गुलाब - जामुन भारत की एक बहुत ही प्रसिद्ध और पारंपरिक मिठाई है, जिसे हर खास मौके पर बनाया ही जाता है। करंजी की तरह गुलाब - जामुन भी कई चीजों से बनता है, जैसे;- सूजी , कंडेंस्ड मिल्क , मिल्क पाउडर और इंस्टेंट मिक्स आदि लेकिन मावे से बने गुलाब - जामुन सबसे बेस्ट होते हैं। तो चलिये मावा गुलाब - जामुन बनाना शुरू करते हैं। 

सामग्री 
  1. चीनी - 4 कप 
  2. पानी - 3 कप 
  3. घी- 1 टी- स्पून 
  4. केसर - 10- 12 धागे 
  5. गुलाब जल - 1 टेबल- स्पून
  6. ईलाईची - 3 
  7. मैदा - 4 टेबल- स्पून 
  8. मावा - 250 ग्राम 
  9. मलाई पनीर- 65 ग्राम 
  10. बेकिंग पाउडर - 1 टी- स्पून 
  11. तेल - गुलाब - जामुन तलने के लिए 
विधि 
  1. मावा गुलाब - जामुन बनाने के किए हमें सबसे पहले चाशनी बनाकर तैयार करना होगा , इसके लिए एक कड़ाही / पैन/ भगौने में 4 कप चीनी और 3 कप पानी डालकर गैस पर रख दें। 
  2. मीडियम फ्लेम पर लगातार चलाते हुए तब तक पकाएँ , जब तक चीनी पानी में अच्छे से घुल न जाए। 
  3. जब चीनी अच्छे से घुल जाए तब ईलाईची को छीलकर उसे दरदरा कूटकर चाशनी में मिक्स कर दें। 
  4. इसके साथ ही चाशनी में 10-12 धागे केसर और 1 टेबल- स्पून गुलाब जल भी डाल दें और मिक्स कर दें।  
  5. अब चाशनी को चलाकर एक उबाल आने तक पकाएँ। जब चाशनी में एक उबाल आ जाए तब गैस धीमी कर दें और धीमी आंच पर चाशनी को और 2 मिनट तक पकने दें। ध्यान रखें कि गुलाब जामुन के लिए हमें कोई तार की चाशनी नहीं बनानी है। केवल उबाल आने के बाद 2 मिनट तक पकाना है। इस तरह से चाशनी बनाने से आपकी चाशनी हर बार उत्तम बनेगी। अगर हम चाशनी को ज्यादा गाढ़ा कर देंगे तो हमारे गुलाब - जामुन चाशनी को अच्छे से नहीं सोखेंगे और अंदर से कड़क व सूखे रह जाएंगे। 
  6. 2 मिनट बाद गैस बंद कर दें और चाशनी को ठंडा होने के लिए छोड़ दें। 
  7. इसके बाद एक परात में मावा निकाल लें और उसमें से थोड़ा - थोड़ा भाग लेते हुए हथेलियों के पिछले हिस्से से तब तक मसलें जब तक मावा बिल्कुल चिकना होकर क्रीम जैसा  न बनने लगे। ऐसे ही पूरे मावे को मथकर तैयार कर लें। ध्यान दें कि यहाँ मावे की मथाई बहुत जरूरी है। मावा जितना मथकर हल्का होगा , गुलाब- जामुन उतने ही नरम बनेंगे। इस पूरी प्रक्रिया में 10-15 मिनट का समय लग जाता है। 
  8. इसके बाद 65 ग्राम मलाई पनीर को कद्दूकस कर लें और उसे भी सेम प्रोसेज से मथकर तैयार कर लें। 
  9. इसके बाद पनीर को मावे में अच्छे से मिक्स कर दें। 
  10. अब  हमें गुलाब - जामुन में बाइंडिंग लाने के लिए मैदा डालना  होगा। इसके लिए पूरा मैदा एक साथ न डालें बल्कि 1- 1 टेबल- स्पून डालते जाएँ और मावे व पनीर के मिश्रण में मिक्स करते जाएँ। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि हमें बहुत ज्यादा मैदे का इस्तेमाल नहीं करना है। नहीं तो गुलाब जामुन कड़क बनेंगे। अगर आपका आटा ज्यादा सूखा लग रहा है तो उसमें 1-2 टी- स्पून दूध / गुलाब जल या पानी भी मिलाया जा सकता है। 
  11. इतने पूरे मिश्रण से डो बनाने के लिए 4 टेबल- स्पून मैदा लगेगा। 
  12. इसके बाद आटे में  1 टी- स्पून घी और 1 टी- स्पून बेकिंग पाउडर डाल दें।  इससे गुलाब जामुन फूले - फूले बनेंगे। अगर आपके पास बेकिंग पाउडर नहीं है , तो 2 चुटकी बेकिंग सोडा भी डाला जा सकता है। घी डालने से गुलाब - जामुन में नज़ाकत/ नरमी आएगी। 
  13. अब मसल- मसलकर मिश्रण को डो के जैसा बना लें। 
  14. जब मावे व पनीर के मिश्रण से अच्छा व  नरम आटा गूँथकर तैयार हो जाए तब एक मलमल के कपड़े से ढँककर आटे को 20 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें। 
  15. अब पूरे आटे से 24-25 लोइयाँ तोड़ लें और उन्हें भी ढँककर रखें। 
  16. अब  पहले अपने हाथों को अच्छे से धोकर, सूखा लें और उस पर थोड़ा सा घी लगाकर हाथों को चिकना कर लें , जिससे गुलाब जामुन बनाते वक़्त हाथों में चिपके नहीं। 
  17. अब 1-1 लोई लेते जाएँ और उसे दोनों हथेलियों के बीच में घुमाते हुए लड्डू जैसा गोल शेप दे दें। 
  18.  ऐसे ही सारे गुलाब जामुन बनाकर तैयार कर लें और उन्हें भी कपड़े से ढँककर रखें। 
  19. इसके बाद एक कड़ाही में पर्याप्त मात्रा में तेल डालकर गरम होने के लिए गैस पर रख दें। गुलाब जामुन तलने के लिए तेल मध्यम गरम होना चाहिए और आंच लो- मीडियम होनी चाहिए। 
  20. अब आटे का एक छोटा टुकड़ा तेल में डालकर पहले चेक कर लें। अगर उस टुकड़े के पास हल्के - हल्के से बुलबुले उठ रहे हों और टुकड़ा धीरे- धीरे ऊपर उठकर आ रहा है, इसका मतलब है कि गुलाब जामुन तलने के लिए तेल बिल्कुल सही है और अगर आटे का छोटा टुकड़ा तुरंत लाल होकर ऊपर उठकर आ जाए तो इसका मतलब है कि तेल बहुत ज्यादा गरम है। तब ऐसी स्थिति में 2 मिनट के लिए गैस बंद कर दें , उसके बाद ही गुलाब - जामुन तलने के लिए डालें। 
  21. इसके बाद 1-1 करके एक बार में जितने गुलाब जामुन कड़ाही में आ सकें डाल दें और दूसरे हाथ से चम्मच की मदद से तेल को चलाते रहें। इससे गुलाब जामुन तली में चिपकेंगे नहीं और हर तरफ से बराबर पकेंगे। परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि चम्मच छोटी हो और उससे गुलाब जामुन फटने न पाये। 
  22. जब गुलाब जामुन दोनों तरफ से बराबर पक जाएँ तब उन्हें निकालकर गरम - गरम ही चाशनी में डाल दें। अगर हम गुलाब जामुनों को ठंडा करके डालेंगे तो वे अच्छे से फूलेंगे नहीं। चाशनी हल्की गरम होनी चाहिए। बहुत गरम चाशनी में कभी भी गुलाब जामुन न डालें , नहीं तो गुलाब जामुन चाशनी में फटकर घुल जाएंगे और चाशनी एकदम ठंडी भी नहीं होनी चाहिए। 
  23. ऐसे ही सारे गुलाब जामुन बनाकर तैयार कर लें। 
  24. गुलाब जामुनों को चाशनी में डालकर 3-4 घंटे के लिए ढँककर छोड़ दें , जिससे गुलाब जामुन अच्छे से चाशनी को अपने अंदर सोख लें। 
  25. स्वादिष्ट गुलाब जामुन बनकर तैयार है। सर्व करें। 

3- कलाकंद 

मिठाइयों की बात हो और कलाकंद का नाम न आए , ऐसा तो हो ही नही सकता। सबसे पहले कलाकंद राजस्थान के अलवर जिले में बनाई गयी थी। कलाकंद दूध , छेने और चीनी से बनाई जाती है। यह बर्फी से काफी हद तक मिलती - जुलती मिठाई है। इसे न सिर्फ भारत बल्कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान व बांग्लादेश में भी खूब पसंद किया जाता है। पारंपरिक रूप से कलाकंद बनाने के लिए पहले दूध को आधा रह जाने तक काढ़ा जाता है। फिर उसमें सफ़ेद विनेगर / टार्टरिक या नींबू का रस डालकर फाड़ा जाता है। फिर उसे पानी से अलग करके  तैयार छेने में चीनी मिलाकर तब तक पकाते हैं , जब तक छेना जमने वाली कंसिस्टेन्सी पर न आ जाए। लेकिन आज हम कलाकंद पनीर व दूध से बनाएँगे। जिससे हमारा काम काफी आसान हो जाएगा।  इस मिठाई की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह बहुत जल्दी बनकर तैयार हो जाती है और खाने में काफी स्वादिष्ट होती है। तो चलिये कलाकंद बनाना शुरू करते हैं। 

सामग्री 

  1. कद्दूकस किया हुआ पनीर - 400 ग्राम 
  2. फूल क्रीम दूध - 500 मिली लीटर 
  3. घी- 1 टी- स्पून 
  4. कंडेन्स्ड मिल्क - 200 मिली लीटर / शक्कर - 150 ग्राम 
  5. बारीक कटे बादाम - 10 
  6. बारीक कटे पिस्ते - 8 
  7. बारीक कटे काजू - 10-12 
  8. ईलाईची पाउडर - 1 टी- स्पून 
  9. केसर के धागे - 8-10 
  10. नमक - 1 चुटकी 
  11. घी- 1/2 टी- स्पून [ थाली को चिकना करने के लिए ] 
  12. काली मिर्च  पाउडर - 1 चुटकी 
विधि 

  1. सबसे पहले 400 ग्राम पनीर को कद्दूकस कर लें। 
  2. इसके बाद एक पैन में 1/2 लीटर फूल क्रीम दूध डालकर उबाल लें। 
  3. जब दूध में एक उबाल आ जाए, तब गैस धीमी कर दें और उसमें कद्दूकस किया हुआ पनीर डालकर मिक्स कर दें। 
  4. धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए दूध व पनीर को तब तक पकाएँ, जब तक पनीर और दूध  एकसार न हो जाए। 
  5. जब तक दोनों चीजें पक रही हैं, तब तक सारे ड्राई - फ्रूट्स काटकर तैयार कर लें। बीच- बीच में दूध व पनीर के मिश्रण को भी चलाते रहें। 
  6. जब दोनों चीजें अच्छे से मिक्स होकर हल्का सा घी छोड़ने लगें तब ऊपर से भी 1 टी- स्पून घी और डाल दें। घी डालने से कलाकंद नरम बनते हैं। 
  7. इसके बाद एक - एक करके सारे ड्राई- फ्रूट्स जैसे;- बारीक कटे काजू , बारीक कटे बादाम और बारीक कटे पिस्ते डाल दें और अच्छे से सारी चीजों को मिक्स कर दें। थोड़े से बारीक कटे बादाम , पिस्ते व केसर के धागों को बचा लें। इसका इस्तेमाल हम गार्निशिंग के लिए करेंगे।  
  8. 1-2 मिनट तक धीमी आंच पर पकाने के बाद मिश्रण में 150 ग्राम चीनी / 200 मिली लीटर कंडेन्स्ड मिल्क डाल दें। हमने यहाँ पर चीनी का इस्तेमाल किया है। 
  9. इसके साथ ही मिश्रण में केसर और ईलाईची पाउडर भी डालकर मिक्स कर दें। अगर आपके पास केसर न हो तो उसके स्थान पर 4-5 बूंदें केवड़ा एसेंस की भी डाली जा सकती हैं। 
  10. इसके बाद मिश्रण में 1 चुटकी नमक और 1 चुटकी काली मिर्च पाउडर डाल दें और मिक्स कर दें। नमक व काली मिर्च डालने से कलाकंद में न तो तीखापन आएगा और न ही कलाकंद नमकीन होगा, बल्कि सारी चीजों के फ्लेवर उभरकर आएंगे, क्यूंकि हर मीठे में चुटकी भर नमक और हर तीखे में चुटकी भर शक्कर आपकी डिश के फ्लेवर को बढ़ाने में सहायक होते हैं। 
  11. अब सारी चीजें डालने के बाद हमें धीमी आंच पर लगातार चलते हुए कलाकंद को तब तक पकाना है, जब तक वह जमने न लगे। 
  12. जब कलाकंद जमने वाली कंसिस्टेन्सी पर आ जाए तब गैस बंद कर दें और एक थाली / प्लेट में 1/2 टी- स्पून घी लगाकर उसे चिकना कर लें । 
  13. अब इस प्लेट पर पूरा मिश्रण डाल दें और अच्छे से हर तरफ बराबर फैला दें। 
  14. रूम टेम्परेचर पर आने तक कलाकंद को ऐसे ही  बाहर ठंडा होने के लिए छोड़ दें। 
  15. जब कलाकंद अच्छे से ठंडा हो जाए तब उसे उठाकर 1 घंटे के लिए फ्रीज़ में रख दें। 
  16. 1 घंटे बाद फ्रीज़ से बाहर निकालें। गैस पर धीमी आंच पर 2 सेकेंड के लिए प्लेट को चारों तरफ से घुमाते हुए हल्का सा गरम कर लें। ऐसा करने से कलाकंद आसानी से प्लेट से बाहर निकल आता है, क्यूंकि जब हम कलाकंद को जमने के लिए फ्रीज़ में रखते हैं तो थाली में लगाया हुआ घी भी जम जाता है, जिससे कलाकंद निकालते वक़्त परेशानी होती है। लेकिन अगर हम प्लेट को हल्का सा गरम कर लेंगे तो हमें कोई परेशानी नहीं आएगी। 
  17.  स्वादिष्ट  कलाकंद बनकर तैयार है। इसके बाद कलाकंद को चौकोर टुकड़ों में काटकर ऊपर से बचाई हुई केसर, बादाम और पिस्ते की कतरनों से सजाकर सर्व करें। 


4- निमकी 


निमकी मैदे व कुछ मसालों से बना एक बेहद ही खस्ता व स्वादिष्ट स्नैक्स है। यह बंगाल की बेहद प्रसिद्ध रेसिपी है। कहीं- कहीं निमकी को सोहाल भी कहा जाता है। इसका आकार तिकोना और स्वाद नमकपारे से मिलता - जुलता होता है। यह बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको बहुत पसंद आती है। तो चलिये निमकी बनाना शुरू करते हैं। 

सामग्री 
  1. मैदा - 2 कप 
  2. नमक- 1 टी- स्पून या स्वादानुसार 
  3. कलौंजी / मंगरैल - 1 टी- स्पून 
  4. अजवाइन - 1 टी- स्पून 
  5. जीरा - 1/2 टी- स्पून 
  6. घी- 3-4 टेबल- स्पून [ मोयन देने के लिए] 
  7. गुनगुना पानी - आवश्यकतानुसार [ आटा गूँथने के लिए ] 
  8. पिघलाया हुआ घी/ तेल - 1/4 कप [ निमकी पर लगाने के लिए ]
  9. सूखा मैदा - 1/4 कप [ निमकी पर छिड़कने के लिए ]
  10. तेल - आवश्यकतानुसार [ निमकी तलने के लिए ] 
विधि 
  1. सबसे पहले एक बड़ी परात में मैदे को छान लें। 
  2. इसके बाद मैदे में कलौंजी , जीरा , नमक और हाथों से हल्का सा क्रश करके अजवाइन डाल दें। अगर हम अजवाइन को हल्का क्रश  करके डालेंगे तो निमकी  का फ्लेवर उभरकर आएगा। सारी चीजों को पहले सूखा  ही अच्छे से मिक्स कर लें। 
  3. अब मैदे में 4 टेबल- स्पून तेल/ ghee  डालकर अच्छे से मसल- मसलकर मैदे के कण - कण में मोयन लगा दें। 
  4. इसके बाद मैदे में थोड़ा - थोड़ा करके  गुनगुना पानी डालते हुए सख्त आटा गूँथकर तैयार कर लें। 
  5. आटे को ढँककर 15 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें। 
  6. 15 मिनट बाद फिर से आटे को मसलकर एक बार चिकना कर लें। 
  7. अब आटे में से एक बड़े बाल के आकार का टुकड़ा तोड़ें और उसके पेड़े बना लें। 
  8. उसे चकले पर रखकर एक बड़ी रोटी के जैसा पतला बेलकर तैयार कर लें। 
  9. रोटी पर ब्रश की सहायता से हर तरफ तेल लगा दें और उस पर सूखा मैदा भी चारों तरफ छिड़क दें। ऐसा करने से निमकी में बहुत सारी परतें आएंगी और निमकी खस्ता भी बनेगी। 
  10. अब एक किनारे से रोटी को अंदर की तरफ से मोड़ते हुए एक बड़े रोल जैसा बना लें। 
  11. इसके बाद चाकू से 1-1 इंच की दूरी पर रोल में कट लगा दें। 
  12. बाकी बचे हुए आटे से भी ऐसे ही टुकड़े बनाकर तैयार कर लें , लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूरी प्रक्रिया में हमें आटे व उसके टुकड़ों को ढँककर ही रखना है। 
  13. इसके बाद एक टुकड़ा  उठाएँ और उससे लोई बनाकर पूरी जैसा पतला बेल लें। 
  14. अब फिर से पूरी पर ब्रश की मदद से तेल लगा दें और उस पर भी सूखा मैदा हर तरफ डस्ट कर दें। 
  15. पूरी को एक बार  मोड दें। फिर से हमें पूरी पर तेल व मैदा लगाना है और  फिर से एक बार और  निमकी को मोड़ना है। 
  16. हमें निमकी को ठीक वैसे ही मोड़ना है, जैसे हम तिकोना परांठा बनाते हैं और तेल व मैदा वैसे ही छिड़कना है जैसे हम लच्छा परांठा के लिए लगाते हैं। 
  17. अब सभी निमकियों पर  फोर्क की सहायता से प्रिक कर दें। 
  18. ऐसे ही सारी  निमकियाँ बनाकर एक थाली में ढँककर रख दें। 
  19. इसके बाद एक कड़ाही में पर्याप्त मात्रा में तेल डालकर गरम होने के लिए रख दें। 
  20. निमकी तलने के लिए भी तेल मीडियम गरम और आंच लो- मीडियम होना चाहिए, क्यूंकि अगर तेल बहुत तेज गरम होगा या आंच तेज होगी तो निमकी जल जाएगी। 
  21. अब 1-1 करके एक बार में जितनी निमकी कड़ाही में आ सके डाल दें। 
  22. थोड़ी देर के लिए निमकियों को बिना चलाये अपने से एक साइड से पकने दें। 
  23. जब एक साइड से निमकी का कलर हल्का गोल्डेन ब्राऊन हो जाए, तब उसे पलट दें। 
  24. दोनों साइड से पलट- पलटकर निमकियों को कुरकुरा और गोल्डेन ब्राऊन होने तक तल लें। 
  25. एक प्लेट में टिशू पेपर बिछाकर उस पर निमकियों को निकाल लें। 
  26. ऐसे ही सारी निमकियाँ बनाकर तैयार कर लें। 
  27. ठंडा हो जाने पर एक एयर- टाइट कंटेनर में रखकर 15- 20 दिनों तक आराम से यह निमकी खाई जा सकती है। 


5- मेथी मठरी 


मठरी उत्तर - भारत का एक पारंपरिक सूखा नाश्ता है। त्योहारों पर तो इसे विशेष रूप से बनाया जाता है। मेथी मठरी भी निमकी की तरह ही  मैदे में कुछ विशेष चीजों को मिलाकर बनाई जाती है। लेकिन इसमें जीरे की जगह कसूरी मेथी का इस्तेमाल होता है। इसे बनाना तो और भी आसान होता है। तो चलिये मेथी मठरी बनाना शुरू करते हैं। 


सामग्री
  1. मैदा - 2 कप 
  2. अजवाइन - 1 टी- स्पून 
  3. कसूरी मेथी - 1.5 टी- स्पून 
  4. कुटी हुई काली मिर्च - 1/4 टी- स्पून 
  5. घी- 4 टेबल- स्पून [ मोयन देने के लिए ] 
  6. नमक- 1 टी- स्पून या स्वादानुसार 
  7. गुनगुना पानी - आवश्यकतानुसार [ आटा गूँथने के लिए ] 

विधि 
  1. सबसे पहले एक बड़ी परात में मैदा निकालकर छान लें। 
  2. अब उसमें हाथों से क्रश करके अजवाइन और कसूरी मेथी डाल दें। 
  3. इसके साथ ही मैदे में कुटी हुई काली मिर्च और नमक डालकर सूखा ही एक बार अच्छे से मिक्स कर लें। 
  4. इसके बाद 3-4 टेबल- स्पून पिघलाया हुआ घी डालकर मसल- मसलकर मैदे  के कण - कण में अच्छे से मोयन लगा दें। 
  5. अब थोड़ा - थोड़ा गुनगुना  पानी डालते हुए सख्त आटा गूँथकर तैयार कर लें।
  6. आटे को ढँककर 15- 20 मिनट के लिए रेस्ट करने के लिए छोड़ दें। 
  7. 20 मिनट बाद एक बार फिर से आटे को मसलकर चिकना कर लें । 
  8. अब आटे को  4 बराबर भागों में बाँट लें। 
  9. आटे से एक भाग उठाएँ तथा उसके पेड़े बनाकर चकले पर रखकर एक बड़ी व मोटी रोटी बेलकर तैयार कर लें। बाकी आटे को ढँककर रखें। रोटी की मोटाई कुलचे जितनी होनी चाहिए। 
  10. अब एक छोटी कटोरी / ग्लास या कूकीज़ कटर से काटकर छोटी - छोटी पूरियाँ बनाकर तैयार कर लें। 
  11. हर एक पूरी पर दोनों तरफ से पलटकर एक फोर्क या चाकू के आगे के हिस्से से प्रिक कर दें। ऐसा करने से मठरी फूलेगी नहीं, बल्कि  अंदर तक पककर बहुत कुरकुरी बनेगी। 
  12. ऐसे ही सारी मठरियाँ बनाकर तैयार कर लें। 
  13. अब एक कड़ाही में पर्याप्त मात्रा में तेल डालकर गरम होने के लिए रख दें। आप चाहें तो जिस तेल में निमकी तली गयी थी उसी तेल में मठरी भी तल लें। 
  14. तलने की पूरी प्रक्रिया निमकी वाली ही होगी। 
  15. मठरियों को भी दोनों तरफ से क्रिस्प व गोल्डेन ब्राऊन होने तक तलकर टिशू पेपर पर निकाल लें। 
  16. ठंडा हो जाने पर एक एयर- टाइट कंटेनर में भरकर यह मठरी 15- 20 दिनों तक खाई  जा सकती है। 


6- चिवड़े की नमकीन 


चिवड़ा या पोहे से बनी नमकीन खाने में बहुत ही अधिक स्वादिष्ट होती है तथा आसानी से घर में उपलब्ध सामग्रियों से बनकर तैयार भी हो जाती है। आप इसे एक बार ज्यादा मात्रा में बनाकर एक एयर- टाइट कंटेनर में रखकर 1 महीने तक इस्तेमाल कर सकते हैं। घर की बनी नमकीन बाहर की पैकेट बंद नमकीन से ज्यादा अच्छी होती है। तो चलिये चिवड़े की नमकीन बनाना शुरू करते हैं। 

सामग्री 


  1. चिवड़ा / पोहा - 2 कप 
  2. मूँगफली / सिंगदाना - 1/2 कप 
  3. भुना हुआ बिना छिलके का काला चना - 1/2 कप 
  4. काजू - 1/4 कप [ वैकल्पिक ] 
  5. करी पत्ता - 15 - 20 
  6. हल्दी पाउडर - 1 टी- स्पून 
  7. नमक - स्वादानुसार 
  8. तेल- 2 टेबल- स्पून 
  9. राई- 1 टी- स्पून 
  10. सूखी लाल मिर्च - 4-5 
  11. चीनी - 2-3 टी- स्पून 
  12. चाट मसाला - 1/2 टी- स्पून 
  13. लाल मिर्च पाउडर- 1/2 टी- स्पून 

विधि 

  1. सबसे पहले कड़ाही में 1 टेबल- स्पून तेल डालकर गरम कर लें। 
  2. अब उसमें 2 कप पोहा डालकर लगातार चलाते हुए धीमी आंच पर तब तक पकाएँ, जब तक पोहा क्रिस्प न हो जाए। 
  3. पोहा / चिवड़ा क्रिस्प हुआ है कि नहीं, यह जानने के लिए जब आप एक पोहा निकालकर उसे मसलेंगे , तब वह पूरे तरीके से चूरा होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो 2-3 मिनट और पोहे को भून लें। 
  4. जब पोहा अच्छे से क्रिस्प हो जाए तब उसे निकालकर एक अलग प्लेट में निकाल लें। 
  5. अब उसी कड़ाही में बाकी का 1 टेबल - स्पून तेल भी डाल दें और गरम हो जाने पर मूँगफली को धीमी आंच पर भूनकर निकाल लें। 
  6. इसके बाद उसी तेल में राई , करी पत्ता , सूखी लाल मिर्च , काला चना और काजू भी डाल दें और सारी चीजों को अच्छे से चलाकर मिक्स कर दें। 
  7. इसके बाद कड़ाही में हल्दी पाउडर और लाल मिर्च पाउडर डाल दें और उसे भी चला दें। 
  8. अब कड़ाही में स्वादानुसार नमक, चीनी और चाट मसाला भी डालकर मिक्स कर दें। 1-2 मिनट तक पकने दें। 
  9. इसके बाद कड़ाही में चिवडा और मूँगफली डालकर मिक्स कर दें, ताकि अच्छे से सारे फ्लेवर पोहे के साथ मिक्स हो जाएँ। 
  10. 2-3 मिनट तक नमकीन को चलाते हुए पका लें। 
  11. 2-3 मिनट बाद गैस बंद कर दें और नमकीन को एक थाली में ठंडा होने के लिए निकाल लें। 
  12. स्वादिष्ट पोहे की  नमकीन बनकर तैयार है। ठंडा हो जाने पर एक एयर- टाइट कंटेनर में रखकर यह नमकीन 1 महीने तक खाई जा सकती है। 

दोस्तों, आशा करती हूँ कि होली के खास अवसर पर बनाई गई मिठाइयों व नाश्तों की मेरी ये रेसिपी आपको पसंद आई होगी। इस लेख में हमने न सिर्फ रेसिपी शेयर की है, बल्कि छोटे से छोटा टिप्स और ट्रिक्स भी शेयर किया है। जिससे आपको ये सभी चीजें बनाने में कोई परेशानी न आए। इस होली पर आप भी अपने घर पर ये सभी मिठाइयाँ व नाश्ते बनाएँ और अपने अनुभव और सुझाव मेरे साथ शेयर करें। 

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धन्यवाद ॥ 

लोहड़ी स्पेशल मक्के की रोटी और सरसों का साग [ Lohri Special Punjab's Classical Makke ki roti aur Sarson ka saag recipe ]

 नमस्कार। स्वाद भी सेहत भी ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम लोहड़ी के खास अवसर पर पंजाब की क्लासिकल डिश मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाएँ...